हड़िया दारू बेचने वाली से बैंक दीदी बनी अनिमा

रांची: खूंटी की अनिमा हेरेंज अब हड़िया दारू और शराब नहीं बेचती। अनिमा को अब लोग शराब बेचने वाली नहीं, बल्कि बैंक दीदी के नाम से जानते हैं। फूलो झानो आशीर्वाद अभियान ने अनिमा को उसके हक का सम्मान दिलाया है।

कर्रा प्रखंड के छाता गांव की रहने वाली अनिमा को पूरे पंचायत में एक अलग पहचान मिली है। अब आंखों में आत्मविश्वास के साथ अनिमा अपने बदलाव की कहानी बयां करती है।

साक्षर अनिमा ने चुनी सम्मानजनक जिन्दगी

अनिमा कहती है कि पढ़ी-लिखी होने के बावजूद वह अवसरों के अभाव में अपनी शिक्षा का सही उपयोग नहीं कर पा रही थी। फिर उसे फूलो झानो आशीर्वाद अभियान के तहत 10 हज़ार रुपए की सहायता प्राप्त हुई।

अनिमा को इस राशि के लिए अलग से किसी भी प्रकार का ब्याज देने की आवश्यकता नहीं थी। अनिमा ने प्राप्त राशि और अपनी जमा पूंजी की मदद से नौ हज़ार का स्मार्ट फ़ोन खरीदा। तत्पश्चात उसे डिजी पे के लिए प्वाइंट आवंटित करने और लेन-देन की तकनीकी जानकारी देकर प्रशिक्षित भी किया गया।

बन गई बैंक दीदी

अनिमा पढ़ी-लिखी थी। इस वजह से वह कुछ दिनों में ही बैंक की तर्ज़ पर जमा व निकासी करने लगी। कुछ ही महीने में अनिमा ने अपना दायरा बढ़ाया और अपनी पंचायत के सभी गावों में लेन-देन करने लगी।

छाता गांव के 10 किलोमीटर के दायरे में कोई भी बैंक शाखा नहीं थी। लोगों को गांव से बैंक आवागमन में घंटों लग जाते थे और कच्ची सड़क की वजह से परेशानी भी बहुत थी। आवागमन का साधन भी मुश्किल से मिल पाता था। ऐसे में दीदी ने डोर-स्टेप बैंकिंग सुविधा देने का काम शुरू किया।

20 से 25 हज़ार रुपए का रोजाना लेन-देन करने लगी। अनिमा को छाता पंचायत के लिए बैंक ऑफ़ इंडिया के तहत बीसी प्वाइंट भी आवंटित हो गया है।

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ऐसे में शराब बेचने वाली अनिमा अपने घर से ही मिनी खाता खोलना, जमा-निकासी, बीमा करना, समूह का लेन-देन करने में समर्थ हो गयी है।

15 हजार से अधिक महिलाओं को मिला लाभ

फूलो झानो आशीर्वाद अभियान के तहत अबतक शराब और हड़िया दारू निर्माण तथा उसकी बिक्री से जुड़ीं 15867 महिलाओं को लोन उपलब्ध करा उन्हें सम्मानजनक आजीविका से जोड़ा जा चुका है।

इनमें से 5638 महिलाओं ने लोन की राशि की अदायगी भी शुरू कर दी है। वहीं योजना के तहत मिलने वाले 10 हजार रुपये के अतिरिक्त लोन 4745 महिलओं को दिया गया है।

इनमें से 2419 महिलाएं लोन राशि का भुगतान कर रही हैं। अभियान से आच्छादित होने वाली महिलाओं में सबसे अधिक सिमडेगा 1625, रांची 1603, गुमला 1505, लोहरदगा 1355 और गोड्डा की 1091 हैं।

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