स्वदेश संवाददाता
इचाक । प्रखंड के फुरुका गांव का मजदूर युवक सागर ऊर्फ शंकर मेहता (30 वर्ष) पिता चंदर मेहता की मौत 31 मई की रात (मुंबई) महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के दापोली में हो गई। मृतक वहां पटरा सेट्रिंग मजदूर का काम करता था। परिजनों ने बताया कि उसकी तबियत 31 मई की शाम खराब हो जाने के वजह से काम से लौटने के बाद सो गया। करीब नौ बजे जब साथ में काम कर रहे अन्य मजदूर ने उठाया तो नही जगा, इसके बाद सागर को आनन फानन में अस्पताल ले गए जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। आस- पास साथ रह रहे लोगो के सहयोग से शव को पैतृक गांव फुरुका लाया जा रहा है। इधर सोमवार अहले सुबह शव फुरुका गांव आते ही गांव में कोहराम मच गया। पत्नी कंचन देवी, पुत्री स्वाति (10 वर्ष), पुत्र अंश (18 माह) माता रजिया देवी, पिता चंदर महतो समेत सभी परिवार के सद्स्यों के क्रंदन और चीत्कार से गांव में कोहराम मच गया। गांव के महिलाएं एवं पुरुष जो भी मृतक शंकर के घर आते सबकी नजर मृतक की पत्नी कंचन और उसके बच्चों की ओर जाता और सभी लोग पत्नी कंचन और बच्चों को ढांढस बंधाते और ईश्वर को कोसते। पिता के मुंह से कोई आवाज नही नीकल रहा था। यदि कुछ बोल रहे तो यही कि ईश्वर मुझे क्यों नही ले गए। मेरा पुत्र मुझे कंधा देता, दुर्भाग्य है कि मैं इस उम्र में जवान बेटे को कंधा देना पड़ रहा है। सोमवार को फुरुका स्थित शमशाम घाट में अग्नि संस्कार कर दिया गया। मुखग्नि पिता ने दी। शव यात्रा में मुखिया प्रतिनिधि रामशरण शर्मा, पंसस प्रतिनिधि छोटन महतो, दुखन यादव, परमेश्वर शर्मा, मोहन शर्मा, अमृत राम, केदार गिरी, रिटन मेहता, राजेन्द्र गिरी, ओमप्रकाश मेहता, सरजू मेहता, विशेश्वर यादव, राजू यादव, अर्जुन यादव समेत दर्जनों लोग शामिल हुए।
प्रवासी मजदूर का शव गांव आते ही मचा कोहराम, क्रंदन और चीत्कार से दहला गांव
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