40 घंटे से पड़ी है चार लाशें, प्रावधान के अनुसार ही मिलेगा मुआवजा, दर्ज होगी प्राथमिकी : एसडीओ

Ramgarh। जिले के गोला थाना क्षेत्र अंतर्गत पिपरा जारा गांव में चार ग्रामीणों की मौत का मामला पिछले 40 घंटे से सुलझ नहीं पाया है। चोरी की बोलेरो से भाग रहे चोर ने चार लोगों को रौंद दिया गया था। जिसमें दो महिलाएं और दो बच्चे शामिल थे। धूमा मांझी की पत्नी मुनिया देवी (45), बहू विलासी देवी (22), डेढ़ वर्षीय पोते निरंजन मांझी और संजय मांझी की बेटी रोशनी कुमारी (12) की मौत हुई थी। इसके अलावा आधा दर्जन लोग घायल भी हैं। ग्रामीण मुआवजे की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। जिला प्रशासन सरकारी प्रावधान के अनुसार ही सहायता राशि देने की बात कर रहा है।

प्रावधान के अनुसार ही मिलेगा मुआवजा : एसडीओ

एसडीओ अनुराग कुमार तिवारी ने बताया कि जिले के आला अधिकारियों को भी इस मामले की जानकारी है। गोला अंचल अधिकारी समरेश प्रसाद भंडारी को ग्रामीणों से बात करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जहां तक बात मुआवजे की है, तो सरकारी प्रावधान के अनुसार ही मुआवजा मिल सकता है। इसके अलावा फिलहाल कोई सहायता जिला प्रशासन की ओर से ग्रामीणों को मिलना मुश्किल है। अभी आदर्श आचार संहिता लागू है और इस माहौल में कोई आश्वासन भी देना आचार संहिता का उल्लंघन होगा। पुलिस इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करेगी और उसके आधार पर जो भी सामने आएगा उस पर कार्रवाई होगी। ग्रामीणों से बात की जा रही है और जल्द ही शव को उठाने के लिए मनाने का प्रयास किया जा रहा है।

पुलिस की भूमिका पर ग्रामीण उठा रहे सवाल

ग्रामीणों के द्वारा पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। एक तरफ पुलिस का कहना है कि घटना से दो दिन पहले ही बोलेरो रजरप्पा थाना परिसर से चोरी हो गई थी। इस घटना को करने वाला चोर भी अभी अस्पताल में इलाजरत है। ग्रामीण पुलिस की चोरी वाली इस कहानी पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। उनका आरोप है कि पुलिस गाड़ी मालिक और रजरप्पा थाने के चौकीदार को बचाने का प्रयास कर रही है।

पिपरा जारा गांव में लगा अधिकारियों का जमावड़ा

गोला थाने के पिपरा जारा गांव में पिछले 40 घंटे से अधिकारियों का जमावड़ा लगा हुआ है। गोला अंचल अधिकारी समरेश प्रसाद भंडारी, गोला थाना प्रभारी अभिषेक प्रताप, गोला सर्किल इंस्पेक्टर, रजरप्पा इंस्पेक्टर और प्रखंड के अन्य अधिकारी ग्रामीणों से वार्ता करने में जुटे हुए हैं। इसके अलावा जिले के आला अधिकारी भी लगातार उनसे संपर्क बनाए हुए हैं। पीड़ित परिवारों के घर नेताओं का भी जमावड़ा लगने लगा है।

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