टैक्स सरलीकरण से आईटीआर दाखिल करने की संख्या बढ़ी

New Delhi : टैक्स सरलीकरण उपायों से आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की संख्या में वृद्धि हुई है, जो आकलन वर्ष (एवाई) 2015 से एवाई 2024 तक आय वितरण में सकारात्मक बदलाव को रेखांकित करता है। उल्लेखनीय रूप से, 5 लाख रुपये तक कमाने वालों के बीच आय-असमानता में 74.2% की कमी दर्ज की गयी है, जिससे पता चलता है कि सरकारी पहल निम्न-आय समूहों के बीच आय को प्रभावी रूप से बढ़ा रही है।

भारत की प्रगतिशील कर व्यवस्था ने आकलन वर्ष (एवाई) 2024 में प्रत्यक्ष कर योगदान को कुल कर राजस्व का 56.7% तक बढ़ा दिया है, जो 14 वर्षों में सबसे अधिक है। वित्त वर्ष 2021 से, व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी) संग्रह ने कॉर्पोरेट आयकर (सीआईटी) को पीछे छोड़ दिया है, जिसमें सीआईटी के 3% की तुलना में 6%तक की वृद्धि हुई है।

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जीडीपी अनुपातके रूप मेंप्रत्यक्ष कर
वित्त वर्ष 2024 में,जीडीपी अनुपात के रूप में प्रत्यक्ष कर6.64% पर पहुंच गया, जो 2000-01 के बाद सबसे अधिक है। प्रत्यक्ष कर उछाल पिछले वित्त वर्ष के 1.25 से बढ़कर 1.86 हो गया। इसके अतिरिक्त, कर संग्रह की लागत वित्त वर्ष 2024 में घटकर 0.44% रह गई, जो वित्त वर्ष 2023 में 0.51% थी।
कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह में पाँच राज्यों का योगदान 70% से अधिक है
कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह में पाँच राज्यों का योगदान 70% से अधिक है, जिसमें महाराष्ट्र 38.9% के साथ सबसे आगे है, इसके बाद कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु और गुजरात का स्थान है। महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक और तमिलनाडु का प्रति व्यक्ति कर योगदान राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
इसके विपरीत, राजस्थान, पंजाब, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति प्रत्यक्ष कर और प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत सेकम है।
आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है
अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025 में कर दाखिल करने वालों की संख्या 9 करोड़ से अधिक हो जायेगी।
वित्त वर्ष 2024 में दाखिल किए गए आयकर रिटर्न की संख्या वित्त वर्ष 2022के 7.3 करोड़ से बढ़कर 8.6 करोड़ हो गई, जिसमें से 6.89 करोड़ (79%) आयकर रिटर्न समय पर दाखिल किए गए।

करदाताओं की संख्या
पिछले 10 वर्षों में, करदाताओं की कुल संख्या 2.3 गुना बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 8.62 करोड़ हो गई।
वित्त वर्ष 2014 की तुलना में वित्त वर्ष 2024 में करोड़पति करदाताओं की संख्या पाँच गुनी बढ़कर 2.2 लाख हो गई।
अनुमान बताते हैं कि महिला करदाताओं की संख्या, सभी व्यक्तिगत कर दाखिल करने वालों की संख्या का लगभग 15% है।
एवाई 2024 में, आईटीआरदाखिल करने वाले शीर्ष पाँच राज्य महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और तमिलनाडु थे, जिनकी कुल रिटर्न में हिस्सेदारी48% थी।

एवाई 2015 की तुलना में एवाई2024 में 5.1 करोड़ अधिक आईटीआरदाखिल किए गए, जिसमें महाराष्ट्र में सबसे अधिक वृद्धि हुई, इसके बाद उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और तमिलनाडु का स्थान रहा।
गिनी गुणांक, व्यक्तिगत आय असमानता में निरंतर गिरावट को दर्शाता है।
आईटीआरडेटा पर आधारित गुणांक, एवाई 2013 (वित्त वर्ष 2012) के 0.489 से घटकर एवाई 2024 (वित्त वर्ष 2023) में 0.460 हो गया।

एवाई 2025 के अनुमानों से पता चलता है कि गिनी गुणांक और भी कम होकर 0.441रह जाएगा।

निम्न आय वर्ग के करदाताओं के बीच आय में वृद्धि
आय असमानता में कमी आ रही है, एवाई 2015 (वित्त वर्ष 2014) में 4 लाख रुपये से कम आय वाले आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने वालों में से 43.6% उच्च आय समूहों में पहुंच गए हैं। विशेष रूप से, 15.1%करदाता4-5 लाख रुपये की सीमा में, 18.7%करदाता 5-10 लाख रुपयेकी सीमा में, 6.7%करदाता10-20 लाख रुपये की सीमा मेंऔर 5.8%करदाता 20-50 लाख रुपये की सीमा मेंचले गए, जबकि 1.8%करदाता 50 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के समूह में पहुँच गए।
कुल मिलाकर, निम्नतम आय समूह में सकल आय का 26.1% बढ़ा, जिसमें 5.5%; 4-5 लाख रुपये और 5.4%; 5-10 लाख रुपये तक की सीमा में पहुँच गए।

आय असमानता: एक मिथक का खंडन
आय वितरण वक्र में दाईं ओर बदलाव निम्न आय वर्ग की बढ़ती आय को दर्शाता है।
3.5 लाख रुपये तक की आय अर्जित करने वाले व्यक्तियों की आय में वित्त वर्ष 2014के 31.8%की तुलना में वित्त वर्ष 2021 में 12.8% की गिरावट देखी गई।
निम्न आय समूह में सकारात्मक वृद्धि
निम्न आय समूह (5.5 लाख रुपये से कम कमाने वाले) ने पिछले दशक में सकारात्मक वृद्धि दर दिखाई है, अपवाद कोविड-19 महामारी के कारण एवाई 2020।
उभरते राज्यों ने प्रत्यक्ष कर दाखिल करने के आधार में वृद्धि को बढ़ावा दिया
महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात और कर्नाटक जैसे पारंपरिक अग्रणी राज्य उच्चतम सीमा के करीब हैं, जिससे कर दाखिल करने वाले के समग्रआधार में उनकी हिस्सेदारी में लगातार कमी आ रही है।
आयकर दाखिल करने वाले आधार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, इसके बाद बिहार, आंध्र प्रदेश, पंजाब और राजस्थान का स्थान है।

आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के अनुसार, महिला श्रमबल भागीदारी 2017-18के 23.3% से बढ़कर 2023-24 में 41.7% हो गई, जिसमें 18.4% की वृद्धि हुई है।
महिला भागीदारी में सबसे अधिक वृद्धि झारखंड में देखी गई, उसके बाद ओडिशा, उत्तराखंड, बिहार और गुजरात आते हैं।
सीबीडीटी ने आयकर अधिनियम, 1961 की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया है, जिसमें आम लोगों से सुझाव मांगे गए हैं। समीक्षा में चार क्षेत्रों को लक्षित किया गया है: अधिनियम को सरल बनाना, मुकदमेबाजी को कम करना, अनुपालन को सुव्यवस्थित करना और पुराने प्रावधानों को हटाना।

कराधान और टीडीएस संशोधन के लिए प्रस्ताव
बैंक ब्याज भुगतान पर टीडीएस सीमा को 10,000रुपये से बढ़ाकर कम से कम 1,00,000रुपये करना, पुरानी पड़ चुकी सीमा और करदाताओं पर अनुपालन के बोझ का समाधान करना। तिमाही के बजाय टीडीएस प्रमाणपत्र (फॉर्म 16ए) को सालाना जारी करने की अनुमति देना, इसे वेतन के लिए फॉर्म 16 के साथ संरेखित करना, क्योंकि फॉर्म 26एएस का उपयोग मुख्य रूप से ऋण के लिए किया जाता है। 8 लाख रुपये से अधिक कमाने वाले व्यक्तियों के लिए एक समान कर दर, विशेष रूप से 60 से 80 वर्ष की आयु के लोगों को ध्यान में रखते हुए, 80 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए अतिरिक्त प्रावधान।

सिफारिश
बजट 2026 में आयकर अधिनियम की समीक्षा कोधन विधेयक के रूप में पेश करके प्राथमिकता देने से इसेतेजी सेपचहत्तर दिनों के भीतर पारित किया जा सकता है। इस व्यवस्था से समय पर, व्यापक कर सुधार संभव होंगे, सभी प्रत्यक्ष कर प्रस्तावों को एक नई संहिता में समेकित किया जाएगा, आयकर अधिनियम, 1961 में संशोधनों को समाप्त किया जाएगातथा आर्थिक विकास और समावेश के अनुरूप एक सुव्यवस्थित कराधान फ्रेमवर्क को बढ़ावा दिया जाएगा।

स्रोत: एसबीआई रिपोर्ट

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