सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बड़कागांव में फाइलेरिया के लक्षण और बचाव विषयक एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित

बड़कागांव।

बड़कागांव फाईलेरिया रोग की रोकथाम के लिए विशेष जागरूकता अभियान का आयोजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बड़कागांव में एक दिवसीय कार्यशाला के रूप में संपन्न की गई। पिरामल फाउंडेशन हजारीबाग के रितेश कुमार के द्वारा कार्यशाला मे उपस्थित साहिया दीदी को फलेरिया के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया। जिसके तहत यह बताया गया कि फलेरिया कैसे होता है, इसके बचाव क्या है, फाइलेरिया से निजात पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए, इन सब बातों को विस्तार पूर्वक बताया गया। सबसे पहले फलेरिया होता कैसे है इस पर कार्यशाला मे उपस्थित साहिया दीदी से उनकी जानकारी लेते हुए पिरामल फाउंडेशन के रितेश कुमार सिंह के द्वारा बताया गया कि जिस प्रकार मलेरिया एक मच्छर के काटने से होता है ठीक उसी प्रकार फलेरिया भी मच्छरों के काटने से ही होता है, जिसे हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। इसमें लोगों का पैर फूल जाता है जिसे हाथी कहा जाता है। यह बीमारी लाईलाज है एक बार हो जाने के बाद इस बीमारी से छुटकारा पाना बहुत ही कठिन कार्य है। चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैरों में हाथी के पांव जैसी सूजन आ जाती है, इसलिए इस बीमारी को हाथी पांव कहा जाता है। वैसे तो फलेरिया का संक्रमण मनुष्य के शरीर में पहले से हीं होता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। फलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। आगे उन्होंने बताया कि, यदि किसी व्यक्ति को ज्यादा दिनों तक बुखार रहे, खुजली हो, हाथ-पैर में भी सूजन या दर्द रहे तो यह फलेरिया होने के लक्षण हैं। आगे उन्होंने बताया कि झारखंड सरकार के तत्वावधान मे फलेरिया से बचाव से संबंधित बहुत सारे अभियान चलाए जा रहे हैं जिसके तहत मुफ्त दवाइयां बांटी जा रही है। मौके पर पीरामल फाउंडेशन के रितेश कुमार सिंह, एमटीएस तरुण कुमार शर्मा एवं दर्जनों साहिया दीदी उपस्थित थे।

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