इंडिया और एनडीए दोनों के लिए ‘शोले’ साबित हो रहा रामगढ़

Ramgarh| झारखंड का एक जिला फिल्म इंडस्ट्री का ”रामगढ़” तो नहीं है, लेकिन एनडीए उम्मीदवार सुनीता चौधरी और इंडिया गठबंधन उम्मीदवार ममता देवी के लिए यह जगह शोले जरूर साबित हो रही है। बेहद आसान इस सीट को जेएलकेएम के उम्मीदवार ने हॉट सीट बना दिया है। यही वजह है कि दोनों गठबंधन को अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।

एक तरफ जहां भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एनडीए उम्मीदवार सुनीता चौधरी को जिताने के लिए हेलीकॉप्टर उतार दिया। तो दूसरी तरफ रामगढ़ के विकास पुरुष के रूप में विख्यात सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी दिन रात मेहनत कर रहे हैं। शहर से लेकर गांव तक एक-एक घर में वे जाकर सुनीता चौधरी को वोट देने की अपील कर रहे हैं।

इंडिया गठबंधन की उम्मीदवार ममता देवी को जिताने के लिए कांग्रेस के प्रखर राजनीतिक सलाहकार गुलाम अहमद मीर ने शहर में कैंप कर रखा है। साथ ही झारखंड के मुखिया हेमंत सोरेन गांव में उनके लिए प्रचार कर रहे हैं।

नॉमिनेशन से ही हर व्यक्ति को जोड़ने की शुरू हुई थी कवायद

नामांकन के दिनों से ही सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी ने एक-एक व्यक्ति को अपने पक्ष में जोड़ने की कवायद शुरू कर दी थी। कुछ ऐसे भी नागरिक हैं, जो चुनावी मैदान में किस्मत आजमाते। लेकिन चंद्र प्रकाश चौधरी के आग्रह पर उन लोगों ने अपना नामांकन ही दर्ज नहीं कराया। यहां तक की चुनाव प्रचार में वे अब उनके साथ खड़े हैं। उन्होंने कांग्रेस की नेत्री और जिला पार्षद प्रीति दीवान को भी अपनी पार्टी में शामिल कर यह संदेश दिया है कि वे कोई भी दांव चलने से चूकेंगे नहीं।

रामगढ़ सीट चंद्र प्रकाश चौधरी के लिए बेहद अहमियत रखता है। इस सीट से वह लगातार तीन बार विधायक भी रह चुके हैं। वर्ष 2019 में जब उन्होंने गिरिडीह से सांसद का चुनाव जीता तो उनकी पत्नी सुनीता चौधरी यहां से उम्मीदवार बनी। यहां सुनीता चौधरी को ममता देवी ने करारी शिकस्त दी और चंद्र प्रकाश चौधरी के हाथ से यह सीट निकल गई। इस हार को चंद्र प्रकाश चौधरी ज्यादा दिन तक बर्दाश्त नहीं कर पाए। 3 साल बाद जब ममता देवी की सदस्यता चली गई, तो उपचुनाव में एक बार फिर चंद्र प्रकाश चौधरी ने दोबारा एंट्री मारी। उन्होंने अपनी पत्नी सुनीता चौधरी को उपचुनाव में जीता कर इस हार का बदला लिया।

ममता भी लेना चाहती है पति के हार का बदला

झारखंड की राजनीति में ममता देवी का उदय चंद्र प्रकाश चौधरी के खिलाफ लड़ाई लड़कर ही शुरू हुई थी। उनका यह संघर्ष 2019 में जीत का कारण बना और वह विधानसभा पहुंच गई थी। लेकिन 3 साल बाद ही आईपीएल गोली कांड में एमपी एमएलए कोर्ट ने उन्हें सजा दी और उनकी सदस्यता चली गई। उपचुनाव में ममता देवी के पति बजरंग महतो को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया।लेकिन जनता के बीच वह अपने पैर नहीं जमा पाए। अब एक बार फिर चुनाव में 2019 की तरह ही सुनीता चौधरी और ममता देवी आमने-सामने हैं। ममता भी अपने पति की हार का बदला लेना चाहती हैं और वह लगातार क्षेत्र में भ्रमण कर रही हैं।

जेएलकेएम रोक सकता है सुनीता और ममता का विजय रथ

झारखंड में उभरी टाइगर जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम का रामगढ़ विधानसभा में वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। इस पार्टी के उम्मीदवार पनेश्वर महतो पूरे क्षेत्र में बेरोजगार पानेश्वर के नाम से जाने जाते हैं। इस चुनाव में उनकी रणनीति भी काफी कारगर साबित हो रही है। शहर से ज्यादा वह अपना दौरा गांव में कर रहे हैं।गोला, दुलमी और चितरपुर प्रखंड का शायद ही कोई गांव बचा होगा जहां पनेश्वर नहीं पहुंचे हो। उनके पीछे गांव की युवा पीढ़ी ही नहीं, बल्कि पूरा जातिगत समीकरण खड़ा हो गया है।

जेएलकेएम के पीछे मौजूद जन सैलाब अगर वोट में तब्दील होता है तो वह सुनीता चौधरी या ममता देवी के विजय रथ को रोक सकता है।

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