निःस्वार्थ को पहचानें, नकली से सावधान रहेंः मोहन भागवत

नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि निःस्वार्थ भाव से देश की सेवा में जुटे लोगों की पहचान कर उनका साथ दें। साथ ही डॉ. भागवत ने चेताया कि व्यक्ति और संगठनों के चरित्र को पहचान कर उनका अंग बनना चाहिए। समाज में कुछ नकली लोग भी हैं, उनकी पहचान कर सावधान रहने की जरूरत है।

देश की आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर नागपुर के सुरेश भट्ट सभागार में ‘उत्तिष्ठ भारत’ विषय पर रविवार को आयोजित कार्यक्रम में सरसंघचालक डॉ. भागवत ने कहा कि यदि हम देश के लिए ‘विजन 2047’ निर्धारित करना चाहते हैं तो जोश के साथ हमें होश की भी जरूरत है। व्यक्ति के विकास में बहुत परिश्रम लगते हैं। वहीं देश की उन्नति के लिए बडे़ पैमाने पर प्रयास करने होंगे। बतौर सरसंघचालक इस कार्य में त्याग की आवश्यकता पड़ती है। हमारा ‘विजन एंड एक्शन’ यानी ध्येय और कृति भी सुस्पष्ट होना चाहिए।

डॉ. भागवत ने कहा कि हमें अमरिका और चीन नहीं बनना है। अमरिका की तरह दुनिया के संसाधनों का दोहन कर अपना फायदा और चीन की तरह साम्राज्य विस्तार, इस प्रकार की नीतियों से भारत को बचना होगा। भारत को अपने संपूर्ण अस्तित्व का ज्ञान प्राप्त है। डॉ. भागवत ने कहा कि कोरोना काल में भारत ने अपना असली स्वरूप प्रगट किया था। जब कभी संकटों का सामना करने का अवसर आता है हमारा देश खड़ा हो जाता है। उन्होंने कहा कि संकट के समय हम हमेशा तैयार रहते हैं, लेकिन यदि हम हमेशा तैयार रहें तो संकट आएगा ही नहीं।

सरसंघचालक डॉ. भागवत ने कहा कि आज के इतिहासकार भारतीय इतिहास को 2400 वर्ष पुराना मानते हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपना मूल और विस्मृत इतिहास खोजना पड़ेगा। आत्मविस्मरण के चलते हमने खुद को भुला दिया। इसी के चलते हमारे समाज में भेद की दीवारें खड़ी हो गईं। अपने छोटे अहंकार बडे़ हो गए। नतीजतन विदेशियों ने उसका फायदा उठाया और आत्मविस्मृत समाज को बांटने का काम किया। सरसंघचालक ने कहा कि हम अहिंसा के पुजारी हैं, दुर्बलता के नहीं। उन्होंने आह्वान किया कि मौजूदा समय में विश्व को रास्ता दिखानेवाले, बलशाली, एकात्म, विश्वगुरु भारत को बनाने के काम में जीने-मरने की शर्त लेकर जो काम में जुटे हैं, ऐसा काम करने वालों का साथ दें। ऐसा काम करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जनता हूं, लेकिन ऐसा काम करने वाला संघ अकेला नहीं, अन्य बहुत हैं। प्रामाणिकता और निःस्वार्थता उनकी पहचान है।

सरसंघचालक ने कहा कि व्यक्ति और संस्थाओं से जुड़ने से पहले उसे ठीक से देखें अन्यथा आप ठोकर खाएंगे, नकली माल से सावधान, असली की पहचान करें। डॉ. भागवत ने कहा कि देश की कमियां गिनाने वाले बहुत सारे लोग हैं, लेकिन इस देश के बारे में जितना गलत बताया जाता है उससे 40 गुना अधिक अच्छा हो रहा है। डॉ. भागवत ने कहा कि व्यक्ति और संगठनों के चरित्र को पहचान कर उनका अंग बनना चाहिए। हमारे अंदर मौजूद प्रांत, भाषा, जाति, पंथ, धर्म और सभ्यता के भेदों को भुलाना होगा। सरसंघचालक ने कहा कि हमें भारत का स्वभाव समझना होगा और उस आधार पर अपना स्वभाव बनाना होगा। व्यक्ति और देश का स्वभाव एक जैसा होना चाहिए। तभी देश अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ पाएगा।

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