रिम्स के कार्डियोथोरासिक विभाग ने फिर नया कीर्तिमान स्थापित करने की कोशिश की

Rims: रिम्स के कार्डियोथोरासिक विभाग ने फिर नया कीर्तिमान स्थापित करने की कोशिश की। इस बार एक ऐसे रोगी के फेफड़े को दुरुस्त किया जिसका बचना नामुमकिन था।

 

लेकिन युवा, जुझारु, कर्मठी व चुनौती पूर्ण कार्य को सफल बनाने का हौसला रखने से कई बार असम्भव कार्य भी आसान हो जाता है। यही इस कहानी की दास्ताँ है।

 

55 वर्षीय महादेव पण्डित जो बोकारो से आये थे। फेफड़े में ट्यूमर की बीमारी से विगत कुछ महीनों से बीमार थे। दिन व दिन उनकी हालत नाजुक होती जा रही थी। आर्थिक स्थिति दयनीय होने से वे लोग बीमारी का ईलाज कराने में सफल नहीं हो पा रहे थे और कई अस्पताल में ईलाज कराकर थक गए थे।

 

हमारे पास महादेव अति गंभीर अवस्था में लेकर आये। उनकी ओक्सिजन का लेवल मात्र 70% था। सांसे बहुत फुल रही थी और धडकन तेज थी। शरीर का वजन दिनों दिन कम होता जा रहा था। खांसी थी और कभी कभी खांसी में ताजा खून भी आ जाता था।

 

जांच में उसके फेफड़ा के बाएं हिस्से में ट्यूमर का पता चला जिसे मेडिकल भाषा में हाइडेटिड सिस्ट कहा जाता है। जो आदमीं के शरीर में कुत्तों से फैलता है।

 

इस रोगी को जांच के दरम्यान खुन की कमी व खुन के केन्सर होने की जानकारी हमें मिली। हमें मिली जानकारी के आधार पर हमने मेडिसिन विभाग से सलाह ली और भी जांच कराया लेकिन स्पस्ट नही हों पाया और ल्युकिंंमोइड रिएक्शन नामक बीमारी की जानकारी मिली।

एक बार हमने इसके ऑपरेशन का प्रयास किया लेकिन बेहोशी के डॉक्टरों ने उस समय कुछ दिन और दवा चलाकर और सुधार करने की सलाह दी।

 

करीब एक सप्ताह दवा चलाने के बाद भी जब स्थिति और खराब होने लगी तो हमने पुन: अपने निश्चेतक से सलाह कर इमरजेंसी ऑपरेशन के तौर पर इन्हें ओपरेट किया। ऑपरेशन सफल रहा और बाएं फेफड़े के खराब हिस्से और ट्यूमर को निकालकर फेफड़े के सुराग को रिपेयर कर फेफड़े को दुरुस्त कर दिया।

 

ऑपरेशन के बाद भी खुन की बीमारी और रोगी की गंभीरता की वझ से हमें लगा था कि शायद अब हम उसे नहीं बचा पायेगे, लेकिन शायद वह किस्मत का धनी और काफी हिम्म्ती था और उसके अंदर जीने की प्रबल इच्छाशक्ति थी।

 

हमलोगों की मेहनत रंग लायी और अब ऐसा प्रतीत होता है की वह खतरे से बाहर है और मुझे लगता है की खुन की रेपोर्ट में खराबी भी शायद फेफड़े के खराब होने और शरीर में संक्रमण की वजह से था।

 

आने वाले दिनों में हमें उनकी खुन की रिपोर्ट से बीमारी का और पता चल पायेगा की उन्हें ब्लड केन्सर भी है क्या?

लेकिन आज महादेव के चेहरे के सुकून से लगता है की उसने मौत पर विजय प्राप्त कर ली है और उसे टालने में वह सफल रहें हैं।

 

हमें भी गर्व है की हमने अपने संस्थान और अपने सहयोगियों की मदद से एक बेशकीमती गरीब व्यक्ति की जान को बचाने का कार्य किया है।

 

उम्मीद है हम यूँ ही जज्बे और सेवा भाव से नित्य उत्कृष्ट कार्य करके लोगों की गम्भीर बीमारी से रक्छा करेंगें और रिम्स व राज्य का नाम देश विदेशों में रौशन करेंगे।

डॉ राकेश चौधरी

कार्डियोथोरासिक सर्जन

रिम्स रांची

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