RSS प्रमुख ने चिंता जाहिर की, प्रेमानंद महाराज ने बताया ये समाधान

Vrindavan: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत (Dr. Mohan Bhagwat) ने बुधवार को वृंदावन में हित प्रेमानन्द जी महाराज के दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किए। इस मौके पर संघ प्रमुख ने कहा कि आप लोगों से जो हम सुनते हैं, वही हम भी बोलते हैं। हम लोग करते चले जा रहे हैं, आप लोग भी कर रहे हैं। इतनी बातें बढ़ भी रही हैं। प्रयास तो करेंगे ही, निराश कभी होगे नहीं, क्योंकि जीना तो इसी के लिए है, मरना भी इसी के साथ है। लेकिन क्या होगा, ये चिंता मन में आती है। मेरे मन में भी, सबके मन में आती है।

इस पर प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) ने कहा कि इसका उत्तर सीधा है कि क्या हम श्रीकृष्ण पर भरोसा नहीं करते। हमें जो खास बात पकड़नी है, क्या हम भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भरोसे में कमी है। अगर भरोसा दृढ़ है, तो वही होगा, जिसे कहा जाता है परम मंगलमय। परम मंगल होगा। कदम पीछे नहीं। हम अपने अध्यात्म बल को जानते हैं। कदम पीछे नहीं… हम अपने स्वरूप को जानते हैं, इसलिए हमको डरना नहीं कि क्या होगा? तीन प्रकार की लीलाएं भगवान की हो रहीं हैं- एक सृजन, एक पालन, एक संहार… जिस समय जैसा आदेश होगा, हम उनके दास हैं, वैसा ही करेंगे। क्या होगा… वही होगा जो मंगल रचा होगा. जो श्रीकृष्ण ने रचा होगा। संशय नहीं करना अब। जैसे अपने लोगों को श्रीकृष्ण ने तैयार किया है, वैसा ही एक और तैयार हो जाएगा, जो बहुत जोर का संभाला। आपको चिंता नहीं करना है, क्या होगा। हमारे साथ श्रीकृष्ण हैं, वही होगा जो मंगल होगा।

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि बस निराशा, हताशा, उदास हमारे जीवन में अधिकार नहीं रखते, किसी भी परस्थिति में। किसी भी तरह का शोक नहीं, भय नहीं। अविनासी हूं, जो सेवा मिली है, दहाड़ता रहूंगा, जब तक सांस है। जब शरीर छूटेगा, तो जो स्वरूप है, उसी को प्राप्त हो जाउंगा।

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि हमारा तिरंगा, हमारा राष्ट्र, हमारा भगवान है। आप तप के द्वारा, भजन के द्वारा लाखों की बुद्धि को शुद्ध कर सकते हैं। एक भजन लाखों का उद्धार कर सकता है। तुम भजन करो, इंद्रियों पर विजय प्राप्त करो और राष्ट्र सेवा करो। राष्ट्र की सेवा के लिए प्राण समर्पित करो। ये राष्ट्र सेवी हैं। लेकिन ये जितेंद्री होकर, भोगी होकर नहीं योगी होकर।

प्रेमानंद महाराज ने कहा, आचरण से, संकल्प से और वाणी से तीनों से समाज सेवा और राष्ट्र सेवा करनी है। हम हमेशा चाहेंगे, आप जैसे सतमार्ग में प्रेरित करने वाले स्वस्थ रहें, भगवान सदैव रक्षा करें और आगे बढ़ते रहें। देशवासियों की बौद्धिक और वैचारिक स्तर का सुधार करते रहें। ऐसे लोग कम देखने को मिलते हैं।

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