Lucknow | प्रयागराज महाकुंभ मेला 2025 में मौनी अमावस्या से पहले देर रात संगम पर हादसा हो गया। यहां भारी भीड़ में भगदड़ मची। जिसमें कई लोग घायल हो गए और वहीं कुछ मौतों की भी खबर है। प्रशासन की तरफ से अभी मौतों पर आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। चौंकाने वाली बात ये है कि हादसे के 12 घंटे से ज्यादा बीत जाने के बाद भी अभी तक हताहत लोगों की संख्या नहीं बताई जा सकती है।

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संगम नोज पर इतनी भीड़ पहुंची कैसे?
दावा किया गया था कि महाकुंभ 2025 को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने के लिए सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह अलर्ट हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस, कुम्भ मेला पुलिस, एनएसजी, एटीएस, एनडीआरएफ, और अन्य पैरामिलिट्री फोर्सेज ने सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए लगातार मॉक ड्रिल का अभ्यास कर रहे हैं। जाहिर है सभी टीमें और पुलिस फोर्स जानती थीं कि करोड़ों लोगों की भीड़ सबसे ज्यादा संगम स्नान के लिए संगम नोज की तरफ ही आएगी।

आपको बता दें संगम नोज एक ऐसी जगह है। जहां से वापस लौटना होता है। मौनी अमावस्या कुंभ का सबसे बड़ा स्नान माना जाता है। इसका पौराणिक महत्व है। ऐसे में ये अंदाजा क्यों नहीं लगाया गया कि कई ऐसे भी लोग होंगे जो देर रात ही संगम पर पहुंच जाएंगे और वह मौनी अमावस्या के मुहूर्त पर स्नान करने का इंतजार वहीं करेंगे। संगम नोज पर भीड़ के दबाव का आंकलन कौन कर रहा था? क्या पीछे दूसरे सेक्टरों में तैनात टीमों को इसकी सूचना दी गई कि भीड़ यहां बढ़ रही है। कृपया आने वाली भीड़ को कंट्रोल करें।

श्रद्धालु कितने घायल हुए, कितनों की मौत हुई? कौन बताएगा

हादसे के बाद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद मोर्चा संभाले हुए हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील भी की है कि संगम पर भीड़ का दबाव काफी ज्यादा, मेला क्षेत्र में भीड़ को देखते हुए जो भी श्रद्धालु जहां हैं, वह वहीं पास के गंगा घाट पर स्नान कर ले। मौनी अमावस्या पर स्नान का ही महत्व है। उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह भी सीएम योगी से लगातार संपर्क में हैं। उन्होंने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति संवेदना भी जाहिर की है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर मौतें हुई कितनी हैं? दिक्कत ये है कि मेला प्रशासन लगातार ये आंकड़े तो जारी कर रहा है कि इतने करोड़ लोगों ने स्नान कर लिया। लेकिन ये बताने वाला कोई नहीं है कि घायलों और मृतकों की संख्या कितनी है?

कुंभ मेला एसएसपी राजेश द्विवेदी के बयान से ही अंदाजा लगा सकतें हैं, वह कहते हैं कि कोई भगदड़ नहीं हुई। अधिक भीड़ थी जिसके कारण कुछ श्रद्धालु घायल हो गए। किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें। जब उनसे पूछा गया कि हादसे में घायलों और मृतकों की संख्या क्या है इस पर एसएसपी ने कहा कि अभी ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है। जिला पुलिस से इससे बेहतर जानकारी मिल पाएगी। फिलहाल हम यहां की व्यवस्था देख रहे हैं। मेरे पास मृतकों की संख्या नहीं है।

हादसे के बाद ही हम क्यों जागते हैं?

महाकुंभ की शुरुआत से पहले से ही सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा था कि इस बार रिकॉर्ड संख्या में करोड़ों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाएंगे। खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मौनी अमावस्या से पहले तक ही 10 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। पूरे आयोजन की समाप्ति तक यहां दुनिया के जितने लोग स्नान करेंगे, वो भारत और चीन की जनसंख्या के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आबादी होगी। जाहिर है इतनी बड़ी संख्या एक जगह पहुंचेगी तो उस जगह दबाव बढ़ ही जाएगा।

अब संगम हादसे के बाद सब एक्टिव हो गए हैं। प्रयागराज में भीड़ का दबाव कम करने के लिए जिले की सीमाएं सील की जा रही हैं। कई मेला स्पेशल ट्रेनों को अलग-अलग स्टेशनों पर रोकना पड़ा है। हाइवे के हालात ये हैं कि प्रयागराज आने वाले श्रद्धालु वाराणसी और अयोध्या भी दर्शन करने जा रहे हैं। कई जिलों में लोकल ट्रैफिक के साथ बाहर से आने वाली भीड़ के दबाव में सड़कें जाम हैं। राम मंदिर ट्रस्ट ने तो अयोध्या में श्रद्धालुओं की भीड़ देखते हुए अपील तक जारी कर दी है कि जो आसपास के लोग हैं वह कृपया 15 से 20 दिन बाद राम मंदिर दर्शन करने आएं। अब प्रयागराज में हादसा होने के बाद से अलग-अलग जिलों में जिस तरह की मुस्तैदी देखी जा रही है। बाहर से आने वाली बसों को रोक दिया जा रहा है। वो हादसे से पहले क्यों नहीं दिखीं?

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