Bengaluru: चांद के दक्षिण ध्रुवीय हिस्से पर सूरज की रोशनी पहुंचने पर चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर के एक बार फिर जागने की उम्मीद है। इसरो स्लीप मोड पर डाले गए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से कल संपर्क करने की कोशिश करेगा। इसरो (ISRO) के मुताबिक, लैंडर और रोवर के सोलर पैनल पर सूरज की रोशनी पड़ते ही ये काम करना शुरू कर सकते हैं। इससे पहले इसरो ने 4 सितंबर को विक्रम लैंडर को स्लीप मोड में डाल दिया था। वहीँ, 2 सितंबर को प्रज्ञान रोवर को स्लीप मोड में डाला गया था। लैंडर ने स्लीप मोड में जाने से पहले पेलोड्स के जरिए चांद पर नई जगहों की जांच-पड़ताल की थी। उसके बाद ही विक्रम लैंडर को सोने का कमांड दिया गया। फिलहाल सारे पेलोड्स बंद हैं। सिर्फ रिसीवर ऑन है, ताकि वह बेंगलुरु से कमांड लेकर फिर से काम कर सके।
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चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan-3 mission) 14 दिनों का ही है, क्योंकि चांद पर धरती के 14 दिन के बराबर एक दिन होता है और इतनी ही बड़ी रात होती है। रात के दौरान चांद के साउथ पोल पर तापमान माइनस 238 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। रोवर-लैंडर सूर्य की रोशनी में तो पावर जनरेट कर सकते हैं, लेकिन रात होने पर पावर जनरेशन प्रोसेस नहीं होगा और इलेक्ट्रॉनिक्स भयंकर ठंड को झेल नहीं पाएंगे और खराब हो जाएंगे।