देश को नेता की नहीं नायक की जरूरत : मोहन भागवत

गुना। कुछ लोग कभी सामने नहीं आते लेकिन वह नींव के पत्थर का काम करते हुए देश के हित में अपना जीवन लगा देते हैं। उनका नाम भी कोई नहीं जानता लेकिन उनके प्रयासों के कारण देश का नाम और ख्याति लगातार बढ़ रही है। आज हमें उन लोगों की पद्धति का अनुसरण करने का प्रयास करना चाहिए। हमारा व्यक्तित्व भी उन्हीं की तरह होना चाहिए। आज देश को नेता की नहीं नायक की आवश्यकता है। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने गुना में तीन दिवसीय आयोजित युवा संकल्प शिविर के दूसरे दिन शनिवार विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि भारत एक भूगोल नहीं, स्वभाव का नाम है। जब तक समाज नहीं बदलता देश का भविष्य नहीं बदल सकता। आज हमें स्वयं कुछ ना करते हुए सब कुछ प्राप्त की अपेक्षा करने की गलत आदत बन गई है। यदि भवसागर से पार होना है तो केवल प्रार्थना से काम नहीं चलेगा। आपको सद्कर्म भी करने होंगे। इसी प्रकार यदि आप राष्ट्र का उत्थान चाहते हैं तो आपको इसके लिए प्रयास भी करने होंगे। आज हर व्यक्ति सामने आकर नेता बनने का प्रयास करता है, यह ठीक नहीं है।

विभिन्न विषयों पर हुआ चिंतन
इस शिविर के दूसरे दिन अलग-अलग विषय पर आयोजित सत्र हुए, जिसमें अलग-अलग वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त कर चिंतन किया। वक्ता के रूप में और भागवत के संबोधन के दौरान मंच पर संघचालक अशोक सोहनी एवं प्रांत संघचालक सतीश पिंपलीकर मौजूद थे। शिविर में आए सभी युवाओं को तीन विभिन्न टोलियों में बांटा गया था। जहां उन्होंने प्रतिभा प्रदर्शन, शौर्य गीत एवं नुक्कड़ नाटक जैसी विभिन्न विधाओं में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। नुक्कड नाटक में सर्जिकल स्ट्राइक, जलियांवाला बाग जैसे ज्वलंत विषयों पर नाटक प्रस्तुत किए गए। प्रतिभा प्रदर्शन में युवाओं ने तात्कालिक भाषण मिमिक्री एवं अन्य विधाओं में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। अलग-अलग विधाओं को देखकर लोग काफी देर हैरत में पड़े रहे।

विभिन्न शारीरिक गतिविधियों में भी शामिल हो रहे हैं युवा
इस शिविर में दूर-दराज से आने वाले विद्यार्थियों के शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रबंध किया गया है, जिसमे युवा सुबह और शाम बढ़-चढक़र शामिल हो रहे हैं। इनमें व्यायाम, खेल जैसी गतिविधियां शामिल है। इसके अलावा युवा युवा कब्बडी जैसे भारतीय खेल खेल रहे हैं, वहीं सामूहिक व्यायाम में शामिल हो रहे हैं। शाखा के पूर्व के इतिहास को देखा जाए तो सन् 1947 में शाखा के पहले वार्षिक उत्सव का आयोजन किया गया था। सौ लड़कियों ने तलवार के साथ शारीरिक प्रदर्शन किया था। सन् 1935 में जिले में प्रथम शाखा सेठ मूंगालाल के बगीची में लगी थी। साल 1942 में गुना जिले में सक्रिय रूप से संघ प्रारंभ हुआ था।

स्वयं सेवकों ने खेला पावन खण्ड युद्ध
बड़े मैदान में आज स्वयंसेवकों ने पावन खंड युद्ध खेल खेला यह युद्ध शिवाजी महाराज द्वारा लादे गए प्रसिद्व युद्ध पर आधारित है। जिसमें उन्होंने एक रात में 64 किमी की विपरीत बाधाओं को पार करके केवल 300 सैनिकों के साथ दस हजार मुगलों पर विजय प्राप्त की थी। वहीं, युवा संकल्प शिविर में कॉलेज के छात्रों ने सफेद शर्ट, फुल पेंट और सिर पर काली टोपी पहनकर और हाथ में लाठी लेकर बैंड की धुन पर अभ्‍यास किया।

आजादी के बाद पहली बार लगा था गुना में संघ पर प्रतिबंध
सन् 1948 में आरएसएस पर पहली आजादी के बाद प्रतिबंध लगा दिया गया था। उस समय बाल स्वयं सेवक जोगलेकर ने अपने 25 साथियों के साथ सत्याग्रह में भाग लिया और जेल गए। सन् 1975 में संघ पर दूसरी बार प्रतिबंध के दौरान अनेक कार्यकर्ता गोविन्द सुखद, सुरेश चितरंगी, बसंत भागवत, केशव चन्द्र गोयल, नाथूराम मंत्री आदि जेल में बंद किए गए थे। सन् 1952 में श्री गुरुजी अल्प प्रवास पर गुना आए थे, तब उन्होंने आर्य समाज के एक कार्यक्रम को संबोधित किया था। सन् 1987 में फरवरी में सर संघ चालक बाबा साहब देवरस बूढ़े बालाजी मैदान पर तीन दिवसीय कार्यकर्ता शिविर में गुना आए थे। सन् 2004 में वर्तमान सर संघ चालक डा. मोहनराव भागवत प्रांतीय कार्यकर्ता सम्मेलन में गुना आए थे, तब वे आरएसएस में सर कार्यवाह थे।

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