मातृभाषा सीखने के बाद अंग्रेजी सीखनी चाहिए : वेंकैया नायडू

Hyderabad : पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि मातृभाषा सीखने के बाद अंग्रेजी सीखनी चाहिए। उन्हाेंने हैदराबाद के शिल्पराम में चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के हिस्से के रूप में प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में राज्य मंत्री जुपल्ली कृष्णा राव ने शामिल रहे। लोकमंथन अंतरराष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु कल उद्घाटन करेंगी।

इस दौरान वेंकैया नायडू ने कहा कि भाग्यनगर में लोकमंथन कार्यक्रम के आयोजन को देखकर उन्हें बहुत खुशी हो रही है। भारतीय सांस्कृतिक विरासत की प्रशंसा करते हुए उन्हाेंने कहा कि हम अपनी जड़ों की ओर वापस जाना चाहते हैं। हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी कला, संस्कृति और वाद्ययंत्रों की रक्षा करनी चाहिए।

यह भी पढ़े: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और मनसुख मांडविया की शिष्टाचार मुलाकात

पूर्व उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि इस कार्यक्रम का मूल विचार भारतीयों के दिमाग से उपनिवेशवाद को खत्म करना और भारतीय बौद्धिक विमर्श, संस्कृति, विरासत, संगीत और नृत्य के प्रति गर्व और प्रतिबद्धता की भावना को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा, “यही इस कार्यक्रम का उद्देश्य है। कार्यक्रम के पीछे एक महान विचार है।” उन्हाेंने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि हम अपनी संस्कृति, अपनी भाषा और अपनी परंपराओं को भूल गये हैं। हम प्रकृति और हिंदू धर्म से प्रेम करने वाला एक पवित्र राष्ट्र हैं। उन्होंने कहा कि अंग्रेजाें ने न सिर्फ हमें आर्थिक रूप से लूटा है, बल्कि हमारा मानसिक रूप से भी लूटा है। उन्होंने कहा कि भगवान के पूजा पाठ और आराधना में विदेशी भाषा अंग्रेजी में आने की कोई शर्त नहीं है।

उन्होंने कहा कि हमें गर्व से कहना चाहिए कि हम भारतीय हैं, हम हिंदू हैं। अंग्रेजी का जुनून और उस भाषा पर झुकाव अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति में प्रावधान होना चाहिए कि मातृभाषा सीखने के बाद अंग्रेजी सीखना उचित रहेगा। उन्होंने खेद प्रकट किया कि विदेशी और पाश्चात्य संस्कृति के असर से परिवार और शादियां टूट रही हैं। परिवार व्यवस्था को मजबूत करना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि योग को भारत से बाहर कई देशों में अपनाया गया है। योग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हर प्रयास किए हैं। योग से मानसिक शांति और संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है। उन्हाेंने कहा कि यदि आपके मन में शांति है तो आप वांछित परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।

प्रज्ञावाहिनी के तत्वावधान में शिल्पराम में लोकमंथन नामक एक कला प्रदर्शनी उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इसमें आज से रविवार तक विभिन्न विषयों पर चर्चा और बैठकें होंगी। 12 देशों से 1500 से अधिक कलाकारों के यहां पहुंचने से माहौल गुलजार हो गया। 120 से ज्यादा सांस्कृतिक कार्यक्रम तैयार किये गये हैं। इस अवसर पर चार दिनों तक शिलपरम का निःशुल्क भ्रमण कराया जाएगा।

Show comments