जीवन जीने का विज्ञान है योग

जीवन जीने का विज्ञान है योग

– कर्मवीर सिंह।

योग शरीर की शक्ति, मन की शांति और सहनशीलता को बढ़ाता है। योग जीवन जीने की कला है, जो हमारे शरीर, मन और आत्मा को जोड़ता है। योग से शरीर स्वस्थ, निरोगी और बलशाली बनता है वहीं, कई गंभीर बीमारियों से छुटकारा भी दिलाता है। आत्मविश्वास बढ़ाने के साथ साथ खुश रहने में भी मदद करता है। योग न केवल हमारे मस्तिष्क को मजबूत बनाता है बल्कि हमारी आत्मा की शक्ति को भी जगृत करता है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में योग की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।

विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा था। यूएनए ने मात्र 90 दिनों में 11 दिसम्बर 2014 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव की मंजूरी दे दी। पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया। भारत की इस महान विरासत को पीएम मोदी ने विश्व के पटल पर फिर से स्थापित कर दिया।

शरीर के स्वस्थ रहने पर ही मस्तिष्क स्वस्थ रहता है। मस्तिष्क से ही शरीर की समस्त क्रियाओं का संचालन होता है। इसके स्वस्थ और तनावमुक्त होने पर ही शरीर की सारी क्रियाएँ भली प्रकार से सम्पन्न होती हैं। इस प्रकार हमारे शारीरिक¸ मानसिक¸ बौद्धिक और आत्मिक विकास के लिए योग जरूरी है।

योग विज्ञान में जीवनशैली का पूर्ण सार है। योग एक ऐसी क्रिया है, जो वैज्ञानिक ढंग से अध्यात्म को समझाती है। यह भावनात्मक एकीकरण और रहस्यवादी तत्त्व का स्पर्श लिए हुए एक आध्यात्मिक ऊंचाई है। पतंजलि को योग के पिता के रूप में माना जाता है और उनके योग सूत्र पूरी तरह योग के ज्ञान के लिए समर्पित रहे हैं।


पतंजलि योग दर्शन के अनुसार- ‘योगश्चित्तवृत्त निरोधः’ अर्थात चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है। योग धर्म, आस्था और अंधविश्वास से परे एक सीधा विज्ञान है। योग शब्द के दो अर्थ हैं और दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं। अतः यह कहा जा सकता है कि योग एक जीवन जीने की कला और विज्ञान दोनों ही हैं। आधुनिक युग मानसिक दबाव,चिंता तनाव का युग बनता जा रहा है| भौतिकतावाद पर अंधा विश्वास आज कई समस्याओं का कारण बन चुका है। कुछ वर्ष पहले तक योग को सिर्फ आयुर्वेद के साथ ही जोड़ कर देखा जाता था, लेकिन आज वैज्ञानिक रूप से भी योग का महत्व बढ़ गया है। डॉक्टर्स भी बच्चो को योग करने की सलाह देने लगे हैं।

योग सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित एक मार्ग है जो मन एवं शरीर के बीच सामंजस्य स्थापित करने का माध्यम है। योग से मुनष्य की चेतना ब्रह्मांड की चेतन उर्जा से जुड़ जाती है। आधुनिक वैज्ञानिकों की मानें तो ब्रह्मांड की हर चीज उसी चेतन उर्जा की अभिव्यक्ति है। जो मनुस्य अस्तित्व की चेतना को महसूस कर लेता है उसे योग में स्थित माना जाता है।

योग ने मानवता के भौतिक एवं आध्यात्मिक दोनों तरह के उत्थान को संभव बनाया है। योग केवल व्यायाम नहीं है, बल्कि स्वयं के साथ, विश्व और प्रकृति के साथ एकत्व खोजने का भाव है। जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अंदर जागरूकता उत्पन्न करता है और प्राकृतिक परिवर्तनों से शरीर में होने वाले बदलावों को सहन करने में सहायक हो सकता है। नैतिक मूल्यों में गिरावट आज एक बड़ी समस्या है। यम व नियम जैसी यौगिक क्रियाएं सत्य, अहिंसा, चोरी न करने तथा ब्रह्मा चर्य के पथ पर चलकर नैतिक अनुशासन सिखाती है इस प्रकार के गुण व्यक्ति को अधिक नैतिक व सदाचारी बनाते हैं। यह सब भी योग मार्ग पर चलकर ही पाया जा सकता है।

योग की उत्पत्ति हजारों साल पहले भारत में हुई। योग विद्या में शिव को पहले योगी या आदि योगी तथा पहले गुरू या आदि गुरू के रूप में माना जाता है। हजारों वर्ष पहले हिमालय क्षेत्र में आदि योगी ने इस ज्ञान को अपने प्रसिद्ध ऋर्षियों को दिया था। सत्पऋषियों ने इस योग विज्ञान को एशिया, मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका एवं दक्षिण अमरीका सहित पूरे विश्व में पहुंचाया। अगस्त ऋषि ने यौगिक तरीके से जीवन जीने के इर्द-गिर्द इस योग संस्कृति को गढ़ा।

इतिहास में देखें तो सिंधु और सरस्वती घाटी सभ्यता के अनेक अवशेषों में भारत में योग की मौजूदगी हैं। लोक परंपराओं, सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक एवं उपनिषद की विरासत, बौद्ध एवं जैन परंपराओं, दर्शनों, महाभारत एवं रामायण नामक महाकाव्यों, शैवों, वैष्णवों की आस्तिक परंपराओं एवं तांत्रिक परंपराओं में योग मौजूद है। वैदिक काल के दौरान सूर्य उपासना को सबसे अधिक महत्व दिया गया। इससे आगे चलकर ‘सूर्य नमस्कार’ की प्रथा का आविष्कार किया गया हो। महान संत महर्षि पतंजलि ने अपने योग सूत्रों के माध्यम से उस समय विद्यमान योग की प्रथाओं को सुव्यवस्थित किया।

आइए, योग के कुछ नियमों का पालन और नियमित योगाभ्यास कर मन, आत्मा और शरीर को स्वस्थ बनाएं। सुंदर, स्वस्थ्य, शांतिपूर्ण जीवन के लिए योग एक संजीवनी के समान है।

(लेखक: झारखंड भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री हैं)

 

 

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