रिलायंस जियो इंफोकॉम (Jio) ने माइक्रोसॉफ्ट के साथ 10 साल का करार किया है. इससे सूचना प्रौद्योगिकी (IT) की लागत तो घटेगी, लेकिन यह अमेजॉन और गूगल जैसी अमेरिकी कंपनियों के कारोबार के लिए एक बड़ी चुनौती भी साबित हो सकती है.
मुकेश अंबानी ने किए कई ऐलान मुकेश अंबानी ने किए कई ऐलान
रिलायंस जियो इंफोकॉम (Jio) ने माइक्रोसॉफ्ट के साथ 10 साल का जो करार किया है उससे भारत के डिजिटल-आईटी जगत में बड़ा बदलाव होने के आसार हैं. इससे सूचना प्रौद्योगिकी (IT) की लागत तो घटेगी, लेकिन यह अमेजॉन और गूगल जैसी अमेरिकी कंपनियों के कारोबार के लिए एक बड़ी चुनौती भी साबित हो सकती है. ऐसा माना जा रहा है कि टेलीकॉम सेक्टर जैसा प्राइस वॉर अब क्लाउड कंप्यूटिंग में शुरू हो सकता है.
इस करार के मुताबिक जियो पूरे भारत में डेटा सेंटर बनाएगी और माइक्रोसॉफ्ट का क्लाउड कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म एज्योर इन डेटा सेंटर को सपोर्ट करेगा. इन दोनों के संयोग से जियो के तमाम ऑफर को और बेहतर भी बनाया जा सकेगा. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार यह अमेजॉन-गूगल जैसी पहले से क्लाउड सर्विस दे रही कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.
क्लाउड सर्विस के तहत तमाम कंप्यूटर आधारित सेवाएं जैसे वेब होस्टिंग और डेटा स्टोरेज आदि मुहैया किए जाते हैं. इस फील्ड में रिलायंस के उतरने से भारतीय बाजार में गलाकाट प्रतिस्पर्धा होगी. अभी तक इस बाजार पर अमेजॉन वेब सर्विसेज (AWS) का दबदबा है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक जियो फिलहाल गुजरात और महाराष्ट्र में दो डेटा सेंटर बना रही है जो अगले साल से काम करना शुरू कर देंगे. रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने इस करार की घोषणा करते हुए सोमवार को कहा था, ‘इस गठजोड़ से हमारे पास भारत केंद्रित समाधान विकसित करने की क्षमता हासिल हो जाएगी, जैसे सभी बड़ी भाषाओं और बोलियों के लिए स्पीच रिकग्निशन और नेचुरल लैंग्वेज की समझ.’
इससे देश के तमाम छोटे एवं मध्य कारोबारी कई तरह के क्लाउड उत्पाद और ऑफिस 365 जैसे बिजनेस एप्लीकेशन का फायदा उठाए पाएंगे. इस अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्मय से माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला ने कहा, ‘हम मिलकर एक व्यापक टेक्नोलॉजी समाधान पेश कर सकते हैं.’
जियो-माइक्रोसॉफ्ट गठजोड़ के द्वारा देश भर में वर्ल्ड क्लास डेटा सेंटर स्थापित किए जाएंगे. मुकेश अंबानी ने कहा कि इससे ज्यादा से ज्यादा संगठनों को अपनी डिजिटल क्षमता के लिए जरूरी टूल और प्लेटफॉर्म हासिल हो सकेगा.
गौरतलब है कि जब साल 2016 में मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) ने जब जियो के द्वारा टेलीकॉम बिजनेस में एंट्री मारी थी तो इसमें जमे-जमाए पुराने खिलाड़ियों को पूरा खेल ही बिगड़ गया था. जियो ने टैरिफ वॉर शुरू कर इस बाजार का बड़ा हिस्सा हासिल कर लिया.
इसी तरह अब यह तय माना जा रहा है कि क्लाउड कंप्यूटिंग में भी प्राइस वार शुरू होगा. जानकारों का मानना है कि अब AWS और गूगल जैसे पुराने खिलाड़ी भी सस्ती कीमतों वाले मॉडल पेश करने पर मजबूर हो सकते हैं. यह बाजार सालाना 23 फीसदी की दर से बढ़ रहा है और अगले पांच साल में इसका आकार 5.6 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है.
गौरतलब है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) द्वारा सोमवार को 42वें एनुअल जनरल मीटिंग का आयोजन किया गया था.