रांची। सीआईपी में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर सामान्य योग अभ्यास (प्रोटोकॉल) एवं मानसिक स्वास्थ्य में योग की उपयोगिता पर बुधवार को व्याख्यान का आयोजन किया गया। बहिरंग विभाग में रोगियों और उनके देखभाल करने वालों के लिए मानसिक बीमारी में योग के महत्व पर एक जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
मौके पर सीआईपी के निदेशक डॉ. बासुदेब दास ने योग के महत्व और उपयोगिता पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि योग एक जीवन शैली है और हमारी सांस्कृतिक विरासत है। योग को दिनचर्या में अपनाना चाहिए। योग आत्मा और परमात्मा को जोड़ने के साथ शरीर और मन से भी संबंध रखता है। अपने शारीरिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने के लिए योग को अपनी जीवनशैली में शामिल करना बहुत महत्वपूर्ण है।
डॉ. संजय कुमार मुंडा ने योग के विभिन्न पहलुओं को रखा। उन्होंने कहा कि आज के दौर में योग हमारी जीवनशैली से दूर होता जा रहा है। इसलिए हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है, ताकि योग योग का अभिन्न अंग बन सके। उन्होंने कहा कि योग के माध्यम से हम याददाश्त क्षमता में सुधार कर सकते हैं और दैनिक दिनचर्या को सकारात्मक रूप से प्रभावी बना सकते हैं।
सत्यानंद योग मिशन रांची के सन्यासी मुक्तिरथ ने कहा कि आज के युग में योग हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है जो शारीरिक स्वास्थ्य जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय की समस्याओं और अवसाद, चिंता, तनाव जैसे मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। समस्या को ठीक रखने के साधन के रूप में उपयोग किया जा रहा है।
सत्यानंद योग मिशन रांची के तत्वावधान में सन्यासी मुक्तिरथ के मार्गदर्शन में आचार्यों ने संस्थान के पुरुष एवं महिला विंग के रोगियों, कर्मचारियों एवं प्रशिक्षुओं को कॉमन योग प्रोटोकॉल का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने योग के विभिन्न आसनों के बारे में रोगियों और उनके देखभाल करने वालों को व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया। योग प्रशिक्षण कार्यक्रम हरिओम पचौरी के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ समाप्त हुआ।
इस कार्यक्रम में डॉ. संजय कुमार मुंडा, डॉ. सुनील कुमार सूर्यवंशी, डॉ. नरेंद्र कुमार सिंह, हरिओम परछोरी और धर्मवीर कुमार सिंह सहित लगभग 300 लोगों ने भाग लिया।