श्रीनगर। हिज्बुल मुजाहिदीन का टॉप कमांडर रियाज नायकू (Riyaz Naikoo) पुलवामा जिले में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मार गिराया गया। रियाज नायकू तक पहुंचने में एक कारपेंटर ने अहम भूमिका निभाई। इस बात का खुलासा जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने किया है। दिलबाग सिंह ने एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत में इस बात की जानकारी दी कि कारपेंटर पूरे ऑपरेशन के दौरान टीम के साथ था।
जम्मू-कश्मीर के डीजीपी ने बताया, ‘कारपेंटर ने हमें बताया था कि कई भूल भुलैया जैसी सुरंगों के जरिए रियाज नायकू अपने घर पहुंचता था। उसके घर के भीतर एक ऐसी दीवार थी, जिसके दोनों तरफ कमरे थे और कोई आम इंसान उसे देखकर यह अंदाजा नहीं लगा सकता था कि यह दीवार अपने आप में रहने की जगह हो सकती है। इस साढ़े 5 फुट चौड़ी दीवार के बीच रियाज तसल्ली से आराम फरमाता था। हमारे साथ जो कारपेंटर था उसी ने हमें यह जानकारी दी थी।’
घर में घेरा गया नायकू’
दिलबाग सिंह ने कहा, ‘हम लोग 6 दिन पहले से ही रियाज के बारे में सारी जानकारी हासिल कर चुके थे। मौका मिलते ही हमारे जवानों ने रियाज को उसी के गांव में उसी के घर में घेरा। आप कह सकते हैं कि उसे ढ़ेर करने में हमारे इंटेलिजेंस की अहम भूमिका रही। एक तरह से माना जाए तो जाकिर मूसा के बाद वह घाटी में हिज्बुल का सबसे बड़ा कमांडर था। रियाज नायकू 2012 से ही सक्रिय था और वह घाटी के युवाओं को बरगलाने में माहिर था।’
A++ कैटिगरी का आतंकी था रियाज
आतंकी रियाज नायकू A++ कैटिगरी का आतंकी था। सुरक्षाबलों को उसकी लंबे समय से तलाश थी और उसके ऊपर 12 लाख रुपये का इनाम भी रखा गया था। सुरक्षाबल इस मामले में कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे इसलिए मारे जाने के बाद भी रियाज की पहचान को लेकर पूरी आश्वस्त होना चाहते थे। इसी वजह से साढ़े पांच घंटे तक उसकी पहचान करने में लगाए गए। सबसे पहले उसके शरीर के निशानों को देखा गया, फिर पुलिस ने, उसके बाद सीआरपीएफ ने, फिर सेना ने, उसके बाद आईबी ने और अंत में स्थानीय लोगों से उसकी पहचान कराई गई। उसके बाद रियाज के मारे जाने की सूचना बाहर आई।