Gorakhpur। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने शनिवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), गोरखपुर में ब्लड बैंक और 10 बेड की डायलिसिस यूनिट का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने इन दोनों सुविधाओं को जनता के लिए महत्वपूर्ण सौगात बताने के साथ डॉक्टरों को मरीज के साथ अच्छ व्यवहार करने, सकारात्मक प्रतिस्पर्धी बनने तथा निरंतर रिसर्च करते को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि किसी मरीज की आधी बीमारी डॉक्टर के अच्छे व्यवहार से ही दूर हो जाती है। इसलिए ऐसा व्यवहार हो कि मरीज डॉक्टर से प्रभावित होकर जाए।
ब्लड बैंक, डायलिसिस यूनिट के उद्घाटन और दोनों का निरीक्षण करने के बाद एम्स के ऑडिटोरियम में आयोजित लोकार्पण समारोह में सीएम योगी ने कहा कि नकारात्मकता किसी को कभी भी आगे नहीं बढ़ाती है। दूसरों का पैर खींचने वाला कभी खुद इसी कृत्य का शिकार हो जाता है। जबकि सकारात्मकता हमेशा आगे बढ़ने की राह दिखाती है। यदि कोई चिकित्सक नकारात्मक सोच का है तो मरीज का बेहतर उपचार नहीं कर सकता। डॉक्टर को सदैव यह ध्यान रखना होगा कि वह मानवता की सेवा से जुड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री ने इंसेफेलाइटिस और कोरोना नियंत्रण में अंतर विभागीय समन्वय वाले टीम वर्क मॉडल का अनुभव साझा करते हुए कहा एम्स जैसे मेडिकल संस्थान में श्रेष्ठ परिणाम के लिए सकारात्मकता और टीम वर्क जरूरी है।
नोट करने की डालें आदत, व्यावहारिक अनुभव ही वास्तविक ज्ञान
योगी ने चिकित्सकों से मेडिकल सर्विस क्वालिटी और रिसर्च पर फोकस करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि किताबी ज्ञान परीक्षा पास कराने के काम आता है जबकि मरीज के इलाज के दौरान मिला अनुभव ही डॉक्टर के लिए वास्तविक ज्ञान होता है। अधिकाधिक व्यावहारिक अनुभव हासिल करने के लिए डॉक्टर को ओपीडी की संख्या सीमित नहीं करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर मरीज के इलाज के दौरान उससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को नोट करने की आदत डालनी चाहिए। इसका अध्ययन कर जो निष्कर्ष निकले, उस पर सरकार के साथ मिलकर आगे बीमारियों के इलाज और उन्मूलन की कार्ययोजना को आगे बढ़ाना चाहिए। सीएम योगी ने एम्स और बीआरडी के चिकित्सकों के मध्य स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की जरूरत बताई। कहा कि प्रतिस्पर्धा में जो आगे बढ़ेगा, वह लंबी दूरी तय करेगा।
एम्स एक ब्रांड, साबित भी करना होगा
मुख्यमंत्री योगी (Chief Minister Yogi Adityanath) ने कहा एम्स एक ब्रांड है और उसके अनुरूप कार्य दिखने भी चाहिए। जन सामान्य की धारणा होती है कि एम्स के नाम से ही बीमारी दूर भागती है। इसे साबित भी करना होगा। पूरे देश में एम्स की बहुत डिमांड है। नई दिल्ली में पहले एम्स की स्थापना के बाद दशकों तक दूसरा एम्स नहीं बना था। श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपने प्रधानमंत्री काल में देश को 6 एम्स दिए। पीएम मोदी के नेतृत्व में देश में एम्स की संख्या अब 22 हो चुकी है।
सरकार हर सुविधा देने को तत्पर
योगी ने कहा कि सरकार जनता के इलाज के लिए चिकित्सा संस्थानों हर सुविधा देने को तत्पर है। बताया कि उत्तर प्रदेश में पांच करोड़ परिवारों को दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ स्कीम आयुष्मान योजना का लाभ उपलब्ध कराया गया है। सरकार सभी 75 जिलों में किसी न किसी अस्पताल के जरिये निशुल्क डायलिसिस की सुविधा भी उपलब्ध करा चुकी है।
इंसेफेलाइटिस और कोरोना नियंत्रण का अनुभव साझा किया
मुख्यमंत्री योगी (Chief Minister Yogi Adityanath) ने अनौपचारिक अंदाज में मेडिकल फील्ड से अपने जुड़ाव, इंसेफेलाइटिस और कोरोना नियंत्रण के अनुभव को विस्तार से साझा किया। उन्होंने बताया कि गोरखपुर में पहला ब्लड सेपरेटर यूनिट, डायलिसिस यूनिट सबसे पहले गोरखनाथ मंदिर ट्रस्ट से संचालित गुरु गोरखनाथ चैरिटी हॉस्पिटल में लगाया गया। 2007 में जब गोरखनाथ हॉस्पिटल में ब्लड सेपरेटर यूनिट लगाने की बात हुई तो उस समय के भारत के ड्रग कंट्रोलर चौंक गए थे। उन्होंने बताया कि 1977-78 में दस्तक देने वाली इंसेफेलाइटिस को लेकर 20 साल किए गए संघर्ष से ही वह इसके नियंत्रण का मॉडल तैयार करने में सफल हो पाए। आज इंसेफेलाइटिस पूरी तरह नियंत्रित है। अंतर विभागीय समन्वय के जिस मॉडल से इंसेफेलाइटिस को नियंत्रित किया गया, उसी मॉडल को अपनाकर वैश्विक महामारी कोरोना को भी सफलता से काबू में कर लिया गया। मुख्यमंत्री ने बताया कि जब कोरोना की दस्तक हुई थी तब प्रदेश के 36 जिलों के सरकारी अस्पतालों में आईसीयू बेड नहीं थे। इस कमी को महज एक माह में दूर कर लिया गया। यूपी ने चीन को छह हजार रुपये कीमत वाली पीपीई किट की जगह ढाई सौ रुपये की किट बनवा दी। चीनी मिलों से इतना सेनेटाइजर बनवाया की 27 राज्यों में भी फ्री सप्लाई दी गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सब सुदृढ़ इच्छाशक्ति का नतीजा था। यदि इच्छाशक्ति से प्रयास किए जाएंगे तो परिणाम भी दिखेगा।