लखनऊ। सन 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प के साथ देश अमृत काल में प्रवेश कर चुका है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नागरिकों से पंचप्रण का आह्वान भी किया है। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्पों की सिद्धि के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्राण-प्रण से जुटे हुए हैं।
केंद्र की तमाम योजनाओं में यूपी जहां नंबर एक पायदान पर है, वहीं पीएम के पंचप्रण में शामिल ‘महापुरुषों के सम्मान’ के लिए भी योगी सरकार संकल्पबद्ध है। इसकी झलक प्रदेश की तमाम योजनाओं में उन भूले और बिसार दिये गये महापुरुषों के नामकरण के साथ मिलती है। प्रदेश में 10 ऐसी योजनाएं हैं, जिन्हें उन राष्ट्रनायकों के नाम पर रखा गया है, जिनके प्रभाव और प्रेरक शक्ति की पिछली सरकारों ने उपेक्षा की थी। पिछली सपा-बसपा सरकारों के दौरान जाति के आधार पर महापुरुषों का चयन कर न केवल खुलेआम वोट बैंक की राजनीति की जाती थी, बल्कि महापुरुषों को महज ‘छुट्टियाें’ तक ही सीमित कर दिया गया था। न तो स्कूली बच्चों को और न सरकारी कर्मचारियों को इन महापुरुषों से प्रेरणा ही मिल पाती थी। योगी आदित्यनाथ ने इस कार्य संस्कृति को बदलने का कार्य किया है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश की पिछली सपा-बसपा की सरकारों में महापुरुषों को महज छुट्टियों तक ही सीमित करके रख दिया गया है। हर पार्टी अपने जाति-समाज से जुड़े महापुरुषों को वोट बैंक के रूप में चिह्नित कर संकीर्ण राजनीति करती दिखती थीं। जिस जाति का नेता उस जाति का महापुरुष बनाने का चलन काफी पहले से चल रहा है। यही नहीं, उनके नाम पर केवल सरकारी अवकाश घाेषित कर कर्तव्यों की इतिश्री कर ली जाती थी। सपा-बसपा सरकारों ने वोट बैंक के चक्कर में केवल प्रदेश में अवकाशों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया। सरकारी स्कूलों के बच्चों को यह भी पता नहीं होता था कि जिनके नाम पर उन्हें छुट्टी दी जा रही है, उन्होंने देश और समाज के लिए क्या किया है। हालात यहां तक हो गये थे कि स्कूलों में गर्मियों और सर्दियों की छुट्टियों को भी इसमें मिला दें तो साल के 365 दिन में से करीब ढाई सौ दिन छुट्टियों के ही होते थे, ऐसे में सरकारी स्कूलों में पठन-पाठन की हालत क्या थी, किसी से छिपा नहीं है। वहीं सरकारी कर्मचारियों को भी करीब-करीब 190 दिन का अवकाश मिल जाया करता था। यही वजह है कि सरकारी कार्यालयों में फाइलें लंबे समय तक लंबित पड़ी होती थीं। जिन महापुरुषों से बच्चों को प्रेरित किया जाना चाहिए था, उनके नाम पर छुट्टियां घाेषित कर वोट बैंक की राजनीति खुलेआम चला करती थी। योगी सरकार ने महापुरुषों के नाम पर सरकारी छुट्टियों में कटौती करते हुए उस विशेष दिन पर स्कूलों और कार्यालयों में महापुरुषों के प्रेरक प्रसंगों पर आधारित कार्यक्रमों को बढ़ावा देने का कार्य किया। जिससे उनके संघर्षों से नौनिहालों और सरकारी कार्यालयों में कार्य कर रही नई पीढ़ी को प्रेरणा मिल सके।
योगी सरकार ने त्रेतायुगीन माता शबरी के नाम पर उत्तर प्रदेश की प्रत्येक कृषि मंडियों में कैंटीन और विश्रामालय की योजना का नामकरण किया है। माता शबरी भील समाज की थीं, जिन्हें रामायण काल में श्रीराम की परम भक्त के रूप में पहचाना जाता है। वहीं मध्यकाल में इस्लामिक हमलावरों द्वारा उत्तर भारत के मंदिरों के विध्वंस के बाद ऐसे धर्मस्थलों का जीर्णोद्धार कराने वाली पुण्यश्लोका माता अहिल्याबाई होल्कर के नाम पर प्रदेश के सात जिलों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रमजीवी महिलाओं के लिए हॉस्टल निर्माण की मंजूरी देकर न केवल मातृशक्ति का सम्मान किया बल्कि वर्तमान में श्रमजीवी महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया है।
प्रदेश में हस्तशिल्प और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने में जुटी योगी सरकार ने टेक्सटाइल पार्क से लेकर लेदर पार्क तक के नामकरण भक्तिकाल के संतों के नाम पर करने का कार्य किया है। इनमें निर्गुण भक्ति धारा के ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख कवि संत कबीरदास के नाम पर टेक्सटाइल पार्कों का नामकरण किया गया है। सीएम मित्र पार्क योजना के अंतर्गत प्रदेश के 10 टेक्सटाइल पार्कों का नामकरण संत कबीरदास जी के नाम पर किया गया है। जुलाहा समुदाय से आने वाले संत कबीर के नाम से पहचाने जाने वाले यूपी के नए टेक्सटाइल पार्क न केवल प्रदेश की आर्थिक उन्नति में अहम योगदान देंगे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित भी करेंगे। इसी प्रकार भक्तिकाल के ही एक और संत संतशिरोमणि रविदास जी महाराज के नाम पर दो जनपदों में लेदर पार्क का नामकरण भी योगी सरकार की दूरदर्शी नीति का ही परिणाम है। सबसे अहम बात ये कि पिछली सरकारों में जहां इन महापुरुषों के नाम पर केवल धर्म और जातिगत वैमनस्यता को बढ़ावा देने का कार्य किया गया वहीं, योगी सरकार महापुरुषों के नाम पर उद्यमशीलता को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है।
नये भारत के नये यूपी की विकास गाथा की प्रेरणा चार भारत रत्न
योगी सरकार ने नये भारत के ग्रोथ इंजन कहे जा रहे यूपी की विकास गाथा में प्रेरक के रूप में चार भारत रत्न सम्मानित महापुरुषों को भी शामिल किया है। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ ही संविधान शिल्पी बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और राष्ट्रीय एकता के प्रतीक सरदार वल्लभ भाई के नाम पर योजनाएं शुरू की गई हैं। इनमें लखनऊ में सीड पार्क का नाम जहां भारत रत्न चौधरी चरण सिंह के नाम पर रखा गया है, वहीं अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर नगरीय क्षेत्रों में पुस्तकालयों का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही समाज कल्याण विभाग की ओर से छात्रावासों का पुनर्निर्माण एवं नवनिर्माण योजना का नामकरण संविधान शिल्पी बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नाम किया गया है। वहीं राष्ट्रीय एकता के प्रतीक लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई को सम्मान देते हुए उनके नाम पर प्रदेश के सभी जिलों में विशेष रोजगार क्षेत्रों का नामकरण भी योगी सरकार द्वारा महापुरुषों के लिए उल्लेखनीय योगदान है।
स्वतंत्रता समर के योद्धाओं का किया सम्मान
योगी सरकार ने प्रदेश की मेधावी बेटियों को सशक्त बनाने के लिए महत्वाकांक्षी योजना का नामकरण झांसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई के नाम पर किया है। इस योजना के अंतर्गत उच्च शिक्षा में मोधावी बालिकाओं को योगी सरकार स्कूटी प्रदान करेगी। वहीं जनजातीय गौरव के प्रतीक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर प्रदेश के दो जिलों मीरजापुर और सोनभद्र में जनजातीय संग्रहालयों की स्थापना की जाएगी।