Patna: बिहार में 90 के दशक की समाजिक ध्रुवीकरण की गूंज फिर से सुनाई देने लगी है। अगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बैकवर्ड-फारवर्ड की राजनीति का नारा दोहराया जाने लगा है। आरजेडी के मंच से पांच दिनों के अंदर दूसरी बार भूरा बाल साफ करो के नारे की याद दिलायी गई है। इस बयानबाजी से बिहार का सियासी पारा चढ़ गया है। 5 जुलाई को राजद के स्थापना दिवस पर राजद के खुला अधिवेशन में प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने 20 साल पहले के भूरा बाल साफ करो के नारे का जिक्र किया था। उन्होंने इस नारे की याद दिलायी और इसे लालू के खिलाफ साजिश बताते हुए कहा कि लालू ने सीना तान के सामंतों, मनुवादियों को चुनौती दी थी। तब हाजीपुर में षड्यंत्र किया गया। फिर मंडल ने भूरा बाल के बारे में नई पीढ़ी को बताया कि भू मतलब भूमिहार, रा मतलब राजपूत, बा मतलब ब्राह्मण और ल मतलब लाला। इसके महज चार दिन बाद 9 जुलाई को राजद के गया के अतरी विधायक अजय उर्फ रणजीत यादव की उपस्थिति में यह नारा लगाया गया। विधायक की मौजूदगी में मंच से अतरी के सीद पंचायत के शिवाला में मुखिया पति मुनारिक यादव ने इसे दोहराया है।
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उन्होंने कहा कि शुरू में हमारे लालू जी जो कहते थे कि भूरा बाल साफ करो, अब वही समय आ गया है कि फिर से भूरा बाल साफ करो। उनके इस भाषण पर विधायक समेत सभा में उपस्थित लोगों ने खूब तालियां बजाई। हालांकिअब आरजेडी विधायक रंजीत यादव इस पर सफाई देते हुए कह रहे हैं कि यह नारा उनके पार्टी के किसी कार्यकर्ता द्वारा नहीं लगाया गया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुये केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि जो इस स्लोगन को भूल गए थे। वो भुल भूलैया में है। उनको भूलना नहीं चाहिए। भूरा बाल लालू जी का नारा है। अब ये स्लोगन कहने वाले ही साफ हो जाएंगे। वहीं मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि इस विवादित नारा को दोहराया जाना गलत है। यह समाज को बांटने की कोशिश है। राजद फिर से बिहार को 90 के दशक की पिछड़ी राजनीति में ले जाना चाहता है। लोजपा सांसदअरुण भारती ने कहा कि 15 साल के लालू-राबड़ी राज में भी ऐसी ही बातें कही जाती थी। ये लोग फिर से बिहार में जंगल राज लाना चाहते हैं। ऐसा प्रयास किया गया तो जनता मुंहतोड़ जवाब देगी।
इस घटना पर राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि लालू जी ने ऐसा कभी नहीं कहा है। कई बार इसका खंडन किया जा चुका है। एक साजिश के तहत जानबूझकर कर राजद की छवि खराब करने के लिए इसे बार-बार इसे दोहराया जाता है। हाजीपुर के जिस मीटिंग में ये बात कहने का जिक्र किया जाता है, वहां मैं खुद उपस्थित था। गोरौल प्रखंड में राम परीक्षण चंद्र ज्योति उच्च विद्यालय की उस चुनावी सभा में लालू जी ने ऐसा कुछ नहीं कहा था। वैसे यह नया विवाद एक बार फिर सवर्ण एवं पिछड़ी जातियों को भड़काने वाला बन सकता है। 1990 के दौर में इसी तरह की बयानबाज़ी का इस्तेमाल सामाजिक दूरी बढ़ाने और वोट बैंक राजनीति को साधने के लिए हुआ था। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इस घटना से राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज होंगे। विपक्ष इसे राजद की सवर्ण विरोधी राजनीति का उदाहरण कर पेश करेगा। वायरल हुए वीडियो व सोशल मीडिया ने घटना को देशव्यापी बना दिया है। राजनीतिक दलों द्वारा इस पर बयानबाजी से सियासी जमीन तनावपूर्ण बनी गई है।अपने नेताओं के अनर्गल बयान से राजद को आलोचना झेलनी पड़ रही है। पार्टी चाहकर भी इससे पल्ला नहीं झाड़ पा रही है। जानकारों के मुताबिक नेताओं की ये बयानबाजी आने वाले चुनाव में राजद को भारी पड़ सकती है।