भागलपुर। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) शिक्षा प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव रवि कुमार ने शनिवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था में बीते कुछ वर्षों में जो क्रांतिकारी बदलाव आया है, उसका सबसे बड़ा उदाहरण बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना है।
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उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार का यह सपना था कि बिहार का कोई भी बच्चा पैसों की कमी के कारण पढ़ाई से वंचित न रहें, और यह सपना हकीकत बन चुका है। रवि कुमार ने बताया कि वर्ष 2015 के आंकडों के अनुसार बिहार का सकल नामांकन अनुपात (कॉलेज में नामांकन लेने वाले स्टूडेंट का प्रतिशत) केवल 13.9 प्रतिशत था। जबकि राष्ट्रीय औसत 24 प्रतिशत था। नीतीश सरकार ने इस औसत को 30 प्रतिशत तक ले जाने के लिए 2 अक्टूबर 2016 को सात निश्चय के तहत ऐतिहासिक योजना बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड को लागू कर दिया। जिसके परिणामस्वरूप बिहार का सकल नामांकन अनुपात बढ़कर लगभग 18 प्रतिशत हो गया है।
उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार की यह ऐतिहासिक पहल उन लाखों विद्यार्थियों के लिए वरदान साबित हुई है, जो आर्थिक तंगी के कारण उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते थे। रवि कुमार ने बताया कि नीतीश सरकार ने इस योजना के माध्यम से बिहार के दसवीं पास, बारहवीं पास और ग्रेजुएट विद्यार्थी को उच्च शिक्षा के छात्र में पढ़ाई करने के अधिकतम 4 लाख रुपये तक का शिक्षा आसानी से उपलब्ध कराने का निर्णय लिया जिसकी गारंटर स्वंय बिहार सरकार है।
इस योजना में पढ़ाई के दौरान और उसके उपरांत एक वर्ष तक कोई ब्याज नहीं लगेगा। पढ़ाई पूरी होने के एक वर्ष बाद लड़कों के लिए 4 प्रतिशत वार्षिक, लड़कियों और दिव्यांगों के लिए 1 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर निर्धारित है। खास बात है कि इस शिक्षा ॠण की वापसी 84 किस्त में तब करनी है जब आय की स्थिति होगी। इस योजना को गति देने के लिए बिहार सरकार ने शिक्षा वित्त निगम का गठन किया है। नीतीश सरकार के इस योजना के कारण अब गरीब परिवार के बच्चें भी अपने सपनों को साकार कर रहे हैं।
पूरे बिहार में अब तक लगभग 3.75 लाख आवेदन को स्वीकार किया गया, जिसके लिए लगभग 11 हजार 500 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है। इस योजना के लाभार्थी में लगभग 30 प्रतिशत छात्राएं शामिल हैं। रवि कुमार ने अंत में कहा कि इस योजना ने साबित कर दिया है कि जब इच्छाशक्ति और नीति स्पष्ट हो तो विकास सिर्फ सपना नहीं, हकीकत बन जाता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरदर्शिता का यह उदाहरण बिहार के विकास और छात्रा-छात्राओं भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा।