नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने मंगलवार को यहां विज्ञान भवन में समाज के विविध क्षेत्रों से जुड़े लोगों के साथ संगठन की सौ वर्षों की यात्रा पर संवाद की शुरुआत की। तीन दिवसीय इस संवाद का विषय “100 वर्ष की संघ यात्रा : नए क्षितिज” रखा गया है।
डॉ. भागवत ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र का विश्व में एक योगदान होता है और संघ की सार्थकता भारत के विश्व गुरु बनने में है। उन्होंने माना कि भारत के उत्थान की प्रक्रिया धीमी है, लेकिन यह निरंतर जारी है और संघ की यात्रा का लक्ष्य इसी भारत के उत्थान से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि संघ के बारे में अनेक चर्चाएं होती हैं, लेकिन प्रामाणिक जानकारी का अभाव है। उन्होंने कहा, “जो जानकारी है, वह भी अधिकतर परसेप्शन पर आधारित है, तथ्यपरक नहीं। हमारा उद्देश्य किसी को कनविंस करना नहीं, बल्कि संघ की सही जानकारी देना है। निष्कर्ष निकालना श्रोताओं का अधिकार है।”
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उन्होंने 2018 में विज्ञान भवन में हुए अपने पिछले संवाद का जिक्र कर कहा कि तब भी यही भावना रही थी कि संघ को लेकर तथ्य सामने लाए जाएं। इस बार सौ वर्ष की यात्रा पूरी होने के बाद संगठन आगे किस दिशा में काम करेगा, इस पर दृष्टि साझा करना उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि इस बार संवाद केवल दिल्ली में ही नहीं, बल्कि देश के अन्य तीन स्थानों पर भी होगा ताकि ज्यादा लोग शामिल हो सकें। उन्होंने बताया कि 70-75 प्रतिशत प्रतिभागी नये लोगों को आमंत्रित किए गए हैं।
संघ के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए डॉ. भागवत ने कहा, “संघ क्यों शुरू हुआ, कैसे बाधाओं के बीच स्वयंसेवकों ने इसे आगे बढ़ाया और आज सौ साल बाद भी नए क्षितिज की बात क्यों हो रही है— इसका उत्तर एक वाक्य में है। प्रार्थना के अंत में हम कहते हैं ‘भारत माता की जय’। अपना देश है, उसकी जय-जयकार होनी चाहिए और उसे विश्व में अग्रगण्य स्थान मिलना चाहिए।”