मथुरा। (जयंती विशेष) भारत सिर्फ जमीन का टुकड़ा नहीं है। हमारी राष्ट्रीयता का आधार भारत माता है। केवल माता शब्द हटा दीजिए, तो भारत जमीन का टुकड़ा मात्र बनकर रह जाएगा। यह विचार हैं पंडित दीनदयाल उपाध्याय के। एकात्म मानववाद और अंत्योदय दर्शन के प्रणेता दीनदयाल उपाध्याय की कठिन परिस्थितियों के बीच धरती पर आए और मृत्यु रहस्य बनकर रह गई।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक और भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 104 साल पहले मथुरा में हुआ था। चंद्रभान नांगला नामक गांव के निवासी भगवती प्रसाद उपाध्याय रेलवे में कर्मचारी थे। वह अपनी गर्भवती पत्नी रामप्यारी के साथ ट्रेन से घर लौट रहे थे, जब स्टेशन पर ही विषम परिस्थितियों के बीच 25 सितंबर 1916 को दीनदयाल उपाध्याय का जन्म हुआ।
उनका बचपन बहुत ही कष्टप्रद परिस्थितियों में बीता, जब 3 साल की आयु में ही पिता की मौत हो गई। इसके बाद मां का भी साथ केवल 7 वर्ष की अवस्था में ही छूट गया। इसके बाद पालन-पोषण और पढ़ाई लिखाई ननिहाल में रहकर हुई। आगरा और प्रयागराज से शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने नौकरी नहीं की। वह RSS के प्रचारक बन गए।
देश की आजादी के बाद उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ मिलकर भारतीय जनसंघ की नींव रखी। 11 फरवरी 1968 की रात रेलवे यात्रा के दौरान मुगलसराय रेलवे जंक्शन के पास रहस्यमयी हालत में उनकी लाश मिली थी। आज तक उनकी मौत को लेकर खुलासा नहीं हो सका है। यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने उनके नाम पर ही मुगलसराय स्टेशन का नामकरण किया है। इसके साथ ही गोरखपुर विश्वविद्यालय का नाम भी दीनदयाल उपाध्याय के ही नाम पर है।