नरकासुर अर्थात् संसार को नरक बना देने वाला असुर
नरक – चतुर्दर्शी पर आध्यात्मिक कार्यक्रम
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के स्थानीय सेवा केन्द्र, चौधरी बगान, हरमू रोड में नरक – चतुर्दर्शी के पूर्व संध्या पर केन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने अपने प्रवचन में कहा – धन तेरस से अगले दिन नरक-चतुर्दर्शी मनाई जाती है। पौराणिक कथा है कि नरकासुर नाम के दैन्य ने सौलह हजार कन्याओं को बन्दी बना लिया था। भगवान ने दैत्य को मार कर उन सौलह हजार कन्याओं को मुक्त कराया, उसकी याद में मनाया जाता है ये पर्व।
यह कथा भी ईश्वर कर्तव्य की यादगार है। नरकासुर अर्थात् संसार को नरक बना देने वाला असुर। देह का अभिमान ही नरकासुर है। काम, क्रोध, लोभ, मोह ये विकार ही इसकी सेना है। सौलह हजार कन्यायें उन पवित्र आत्माओं का प्रतीक है जो भगवान के गले में माला के रूप में पिरोया जाने योग्य है परंतु अज्ञान के कारण देह अभिमान के चंगुल में फंस जाती है। प्रभू-प्रेमी आत्माओं का करूण पुकार सुन भगवान धरती पर अवतरित होते हैं, ज्ञान-दीप जला कर देह-अभिमान रूपी दैत्य का नाश करते हैं और काम, क्रोध आदि विकारों के बन्दीगृह से आत्मा को मुक्त करते हैं।
मानवता की सेवा में
(ब्रह्माकुमारी निर्मला)
केन्द्र प्रशासिका
नया युग आध्यात्मिक युग होगा
पवित्रता ही सुख शान्ति की जननी हैं हर कीमत पर इसकी रक्षा करना अपना सर्वप्रथम कर्तव्य है।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय
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