भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ‘वॉटर विजन @2047’ पानी बचाने में मील का पत्थर साबित होगा। कल मेरे साथ आप भी पेड़ लगाएं, उस गार्डन को हम नाम देंगे वॉटर विजन गार्डन। यह सम्मेलन की स्मृतियों को अक्षुण्ण रखेगा। मध्यप्रदेश में हमने 2007 में जलाभिषेक अभियान प्रारंभ किया। मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता है कि छोटी-बड़ी मिलाकर हमने कुल 4 लाख से ज्यादा वॉटर बॉडी बनाई हैं और लगातार काम जारी है।
मुख्यमंत्री चौहान गुरुवार को राजधानी भोपाल में आयोजित प्रथम अखिल भारतीय राज्य मंत्रियों के सम्मेलन ‘वॉटर विजन @2047’ को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट एवं अन्य राज्यों के मंत्रीगण मौजूद थे। सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी दिल्ली से वर्चुअली संबोधित किया।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं, हमारा देश सौभाग्यशाली है कि प्रधानमंत्री के रूप में हमें नरेंद्र मोदी जी मिले हैं। वे संकल्प लेते हैं, तो उसकी सिद्धि के लिए स्वयं को झोंक देते हैं। वे अद्भुत लीडर हैं। प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में जो विजन हमें दिया दिया, उसपर अमल करके मध्यप्रदेश बेहतर जलनीति बनाएगा। “वॉटर विजय 2047” के आयोजन का दुर्लभ अवसर मध्यप्रदेश को मिला है। हमारी परंपरा अतिथि देवो भव: की है। प्रयास यह होगा कि सम्मेलन के दौरान किसी तरह का कष्ट न हो। आप सभी का हृदय से स्वागत है।
उन्होंने कहा कि “वॉटर विजन 2047” भोपाल में हो रहा है, और भोपाल जल प्रबंधन का उत्तम उदाहरण है। हमारे यहां एक कहावत है “तालों में भोपाल ताल बाकी सब तलैया”। भोपाल ताल को बने हुए 1000 साल से ज्यादा हो गए। राजा भोज की प्रतिमा हमने इसी तालाब में लगवाई है। आज भी भोपाल को एक तिहाई पेयजल की आपूर्ति इसी बड़े तालाब से होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर यह तालाब ना हो तो भोपाल की पहचान ही खत्म हो जाएगी। मध्यप्रदेश में 2003 के आसपास हमारी कुल सिंचाई की क्षमता साढ़े 7 लाख हेक्टेयर थी। मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि आज मध्यप्रदेश की सिंचाई क्षमता बढ़कर 45 लाख हेक्टेयर हो गई है। मध्यप्रदेश कृषि प्रधान राज्य है, इसलिए हमने बांध और जल संरचनाएं बनाईं। बुंदेलखंड की धरती में लगभग 2000 से ज्यादा चंदेल कालीन जल संरचनाएं हैं। यह हमारी प्राचीन परंपरा भी है। मध्यप्रदेश के भी हर गांव में बिना तालाब के काम नहीं चलता था। माता गंगा की तरह हमारे यहां नदियां ग्लेशियर से नहीं निकलती हैं, बल्कि मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी मां नर्मदा पेड़ों की जड़ों से निकलती हैं। हमने जनभागीदारी से नर्मदा सेवा यात्रा प्रारंभ की और नदी की स्वच्छता के साथ-साथ मैया नर्मदा के तटों पर असंख्य पौधे लगाये। प्रधानमंत्री जी मोटे अनाज की बात करते हैं। हमें कम पानी वाली फसलों पर भी ध्यान देना होगा। आज गुणीजनों के चिंतन-मंथन से जो अमृत निकलेगा, उसको मध्यप्रदेश की धरती पर जनता तक पहुंचाने में हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे। जनभागीदारी से हम वॉटर विजन 2047 के लक्ष्यों को प्राप्त करने का हरसंभव प्रयास करेंगे।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में हमने 2007 में जलाभिषेक अभियान प्रारंभ किया। जिलों में जल संसद, जल सम्मेलन और गांवों में जल यात्राओं के माध्यम से जनता को जोड़ने का प्रयास किया। मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता है कि छोटी-बड़ी मिलाकर हमने 4 लाख से ज्यादा वॉटर बॉडी बनाईं। मध्यप्रदेश अपनी जलनीति बना रहा है। जिसमें सारे आयाम शामिल रहेंगे कि हम कैसे पानी बचाएं, कैसे पानी बढ़ाएं, कैसे वर्षा जल को रोककर रखें, कैसे वेस्ट वॉटर को रिसाइकिल करके उपयोग में लाएं। इसके प्रयास हम कर रहे हैं। कल मेरे साथ आप सभी पौधे लगाएं। पेड़ और पानी का चोली दामन का साथ है। हम उस गार्डन को वॉटर विजन गार्डन नाम देंगे। आइये, हम सब पौधे लगाकर पानी बचाने का संदेश पूरे देश को दें।