नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने कहा कि देश की एकता, अखंडता के लिए प्रयास हम सबने मिलकर करने चाहिए। अलग दिखते हैं, इसलिए अलग हैं, यह भाव न रहता तो देश नहीं टूटता। वे नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघ शिक्षा वर्ग, तृतीय वर्ष, के समापन समारोह में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र है, अनेक राजनीतिक दल है, एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगना- लगाना होता रहता है। सत्ता प्राप्ति के लिए प्रतिस्पर्धा रहती ही है, यह एक पद्धति है, किंतु इसमें देश की प्रतिष्ठा को ठेस न पहुँचे, लोगों के मन में विषम भाव न पैदा हो, इतनी मर्यादा तो रहनी ही चाहिए।
श्री भागवत ने कहा कि विश्व हमसे नए रास्ते की अपेक्षा रखता है। विवाद से नहीं समझ से काम लेना पड़ेगा। आत्मीयता के लिए सभी को कुछ न कुछ छोड़ना होगा। इसी की आदत बनाने हेतु प्रयास ही संघ का कार्य है।
अदृश्य काडसिद्धेश्वर स्वामी ने कहा कि हमारा देश विश्वगुरु था और उसे इस पद पर पुनर्स्थापित करने के लिए सतत कार्यशील और समर्थ एकमेव यदि कोई संस्था है तो वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है। संघ यानि डिसिप्लिन संघ यानि ज्ञान संघ यानि हिन्दुत्व संघ यानि समर्पण, हिन्दुत्व, समरसता।
कार्यक्रम में वर्ग के सर्वाधिकारी कृष्णमोहन, विदर्भ प्रांत संघचालक राम हरकरे और नागपुर महानगर संघचालक राजेश लोया मौजूद थे।
तृतीय वर्ष में 859 स्थानों से 923 शिक्षार्थी भाग लिए।