नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के बीच रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को अमेरिका से प्रीडेटर (एमक्यू-9 प्रीडेटर) ड्रोन के खरीदने की मंजूरी दे दी है। सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी जल्दी ही इसपर अंतिम फैसला करेगी। रक्षा सूत्रों के अनुसार, प्रीडेटर ड्रोन के सौदे को आज रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में मंजूरी दे दी गई। बताया जा रहा है कि ड्रोन को लेकर ये समझौता तीन अरब डॉलर यानी लगभग 24 हजार करोड़ रुपये का होने वाला है। इसके तहत 18 ड्रोन्स खरीदे जाएंगे।
अधिग्रहण प्रस्ताव को अब एक प्रक्रिया का पालन करना होगा, जिसके बाद इसे सुरक्षा पर कैबिनेट समिति द्वारा मंजूरी देनी होगी। अधिग्रहण पर निर्णय लेने के लिए डीएसी रक्षा मंत्रालय में सर्वोच्च निकाय है। सभी उच्च मूल्य के अधिग्रहणों को सीसीएस द्वारा अंतिम स्वीकृति दी जाती है। भारतीय नौसेना उस सौदे की प्रमुख एजेंसी है जिसमें 15 ड्रोन अपनी जिम्मेदारी के क्षेत्र में निगरानी कार्यों के लिए समुद्री बल में जाएंगे।
तीनों सेवाओं की स्वदेशी स्रोतों से समान प्रकार के मध्यम ऊंचाई और लंबे समय तक चलने वाले ड्रोन के लिए जाने की भी योजना है। इस बीच पीएम मोदी 21 से 24 जून तक अमेरिका के दौरे पर जाने वाले हैं, जहां व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन उनकी मेजबानी करेंगे। प्रधानमंत्री के रूप में अपने नौ साल के शासनकाल के दौरान यह पीएम मोदी की अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा होगी। अपनी यात्रा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी दूसरी बार अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित करने वाले पहले भारतीय पीएम भी बनेंगे। भारतीय अमेरिकियों ने कहा कि अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करने के लिए प्रधानमंत्री को भेजा गया निमंत्रण अमेरिका और भारत के बीच संबंधों के ऐतिहासिक महत्व की याद दिलाता है, विशेष रूप से भारत-प्रशांत क्षेत्र में वैश्विक शांति और समृद्धि के साझा सपने और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
क्या है ड्रोन की खासियत?
एमक्यू-9 रीपर ड्रोंस के पंखों की लंबाई 20 मीटर है, जबकि इसकी लंबाई 11 मीटर है। ये ड्रोन 27 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि ये हवा में 444 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ सकता है। ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। ड्रोन 1746 किलो के वजन को अपने साथ लेकर उड़ने की क्षमता भी रखता है। ड्रोन को चीन और पाकिस्तान की हरकतों पर नजर रखने के लिए तैनात किया जाएगा।