Bhopal: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के वनकर्मियों को पुलिस की भांति एक माह का अतिरिक्त वेतन मिलेगा। वन मुख्यालय द्वारा इसका प्रस्ताव तैयार कर मप्र शासन को भेजा गया है, जिसे मंजूरी मिलते ही लागू कर दिया जाएगा। इसका लाभ राज्य के करीब बीस हजार वन कर्मचारियों को होगा। बुधवार को विधानसभा की कार्यवाही के दौरान उक्त आशय की जानकारी मध्य प्रदेश के वन मंत्री कुँवर विजय शाह (Kunwar Vijay Shah) द्वारा सदन में दी गई।
वे विधायक नारायण सिंह पट्टा के प्रश्नकाल के दौरान उठाए गए सवाल का जवाब दे रहे थे। विधायक सिंह ने कान्हा टाइगर रिज़र्व को आधार बनाकर सदन में वनमंत्री से पूछा और साथ ही कुछ जानकारियों भी राज्य के वनक्षेत्र से संबंधित साझा की । उन्होंने कहा कि कुछ वनक्षेत्र नक्सली गतिविधियों के चलते संवेदनशील हैं। यहां कार्यरत कर्मचारी 24 घण्टे ड्यूटी पर सक्रिय रहते हैं। क्या नक्सल प्रभावित होने के कारण कान्हा पार्क के समस्त कर्मचारियों को पुलिस की तरह विशेष भत्ता मूल वेतन में जोड़कर दिए जाने पर विचार किया जा रहा है। क्या पुलिस के समान इन कर्मचारियों को एक माह का अतिरिक्त वेतन देने पर विचार किया जाना चाहिए? कान्हा पार्क में कार्यरत सुरक्षा श्रमिक, टी.पी.एफ. कर्मचारी, फायर श्रमिक को स्थायीकर्मी में समाहित किये जाने पर विचार किया जा रहा है? इनके नियमितीकरण पर विचार किया जा रहा है? इनके मामले में श्रम कानून का पालन किया जा रहा है? इनकी स्वाभाविक मृत्यु या जंगली जानवरों द्वारा मारे जाने पर इनके परिवार को आर्थिक सहायता या अनुकंपा नियुक्ति का कोई प्रावधान है?
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इसके उत्तर में वनमंत्री ने बताया कि कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का आंशिक क्षेत्र संवेदनशील है। कान्हा पार्क में कार्यरत उपरोक्त श्रेणी के कर्मी जो 10 साल या उससे अधिक सेवा दे चुके हैं, को किसी रिक्त पद के विरुद्ध कार्य पर नहीं लगाया गया है, अपितु पूर्णत: आकस्मिकता के आधार पर श्रमिक के रूप में रखा गया है। फिलहाल इस राष्ट्रीय उद्यान में विशेष भत्ता देने का कोई प्रस्ताव नहीं है। लेकिन वनविभाग के कार्यपालिक कर्मचारियों को पुलिस के समान एक माह का अतिरिक्त वेतन देने के संबंध में प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को वरीयता अनुसार नियमों के तहत पदोन्नति दी जाती है। वर्तमान में पदोन्नति में आरक्षण के विषय पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय का स्थगन है । लेकिन सभी श्रमिकों के मामले में श्रम कानून का पालन किया जा रहा है। साथ ही शाह ने बताया कि जंगली जानवरों द्वारा मारे जाने पर उनके परिवार को शासन के निर्देशानुसार आठ लाख रुपए आर्थिक सहायता देने का प्रावधान है, जो इस स्थिति में दी जा रही है ।
उन्होंने बताया कि पहले ऐसी स्थिति में सिर्फ चार लाख रुपए दिए जाते थे जिसे शिवराज सरकार में दोगुना कर दिया गया । सुरक्षा श्रमिक, टी.पी.एफ. श्रमिक एवं फायर श्रमिक पूर्णतः आकस्मिक रूप से रखे जाते हैं, अत: इन्हें स्थायीकर्मी के रूप में समाहित अथवा इनके नियमितीकरण पर विचार नहीं किया जा रहा है और न ही इनकी वरीयता सूची तैयार की जाती है। इन श्रमिकों के लिये अधिकतम आठ घंटे कार्य लिया जाता है।