Chandigarh: पंजाब के मुख्य सचिव अनुराग वर्मा ने बाढ़ से हुए नुकसान की पूर्ति करने के लिए पीड़ितों की जाने वाली मदद के नियमों में छूट देने की मांग की है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (cm Bhagwant Mann) ने पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखकर कहा कि पीड़ितों को मुआवज़ा देने के लिए राज्य के आपदा राहत फंडों में कोई कमी नहीं, सिर्फ़ नुकसान की पूर्ति करने के नियमों में बदलाव की ज़रूरत है।
पंजाब और पहाड़ी इलाकों में निरंतर मूसलाधार बारिश के कारण राज्य में आयी बाढ़ से हुए नुकसान का ज़मीनी स्तर पर जायज़ा लेने के लिए पंजाब के दौरे पर आई सात सदस्यीय अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम ने विभिन्न जिलों का दौरा करने के बाद आज यहां पंजाब सिविल सचिवालय में मुख्य सचिव के साथ मीटिंग की। इस दौरान विभागवार बाढ़ से हुए नुकसान की जानकारी देने के बाद मुख्य सचिव ने केंद्रीय टीम को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी।
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मुख्य सचिव वर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री की तरफ से लिखे पत्र में पीड़ितों को दी जाने वाली मुआवज़ा राशि करीब दोगुनी करने की मांग की गई है। इसी तरह और भी कई तरह के हुए नुकसान के लिए मुआवज़ा राशि बढ़ाने की मांग रखी गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के नियमों के कारण वह उपयुक्त मुआवज़ा देने से असमर्थ है। इसलिए इन नियमों में बदलाव करने की ज़रूरत है।
बैठक के दौरान केंद्रीय टीम के प्रमुख राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अथॉरिटी के वित्तीय सलाहकार रवीनीश कुमार ने कहा कि उनकी टीम की तरफ से कई राज्यों का दौरा किया गया और हिमाचल प्रदेश के बाद सबसे अधिक नुकसान पंजाब में हुआ है।
मुख्य सचिव ने बाढ़ के कारण हुए नुकसान के विवरण देते हुये बताया कि राज्य में कृषि से सम्बन्धित 605.38 करोड़ रुपये, लोक निर्माण विभाग (सड़क और इमारत) का 173.10 करोड़ रुपये, जल स्रोत का 159.36 करोड़ रुपये, शहरी बुनियादी ढांचा/ स्थानीय निकाय का 44.38 करोड़ रुपये, ग्रामीण विकास एवं पंचायत का 43.66 करोड़ रुपये, स्कूल शिक्षा का 26. 85 करोड़ रुपये, बिजली का 17.50 करोड़ रुपये, मछली पालन का 9.98 करोड़ रुपये, जल सप्लाई और सेनिटेशन का 5.66 करोड़ रुपये, स्वास्थ्य का 4.45 करोड़ रुपये और विविध 230.26 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। कुल मिलाकर 1320.59 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।