Shimla: शहरी उपभोक्ताओं को प्राकृतिक खेती के उत्पाद मुहैया करवाने के उद्देश्य से प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत शुक्रवार को ‘नेचुरल प्रोड्यूस ऑन व्हील्स’ पहल की राज्य सचिवालय से शुरूआत की गई। इस पहल का शुभारंभ कृषि सचिव सी पालरासू ने किया। कृषि सचिव ने कहा कि इस पहल से प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ होगा। मोबाइल वैन चलने से प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों के उत्पाद सीधे उपभोक्ता तक पहुंचेंगे। उन्होंने बताया कि राज्य में प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है और वह इस विधि से बागवानी को भी प्रोत्साहित करेंगे।
‘नेचुरल प्रोड्यूस ऑन व्हील्स’ पहल से 3 विकास खंडों बसंतपुर, टुटू और मशोबरा के किसान सीधे तौर पर जुड़े हैं जो अपना उत्पाद वैन के जरिए बेचेंगे। यह वैन प्रत्येक शुक्रवार को सचिवालय में 1 से 2:30 बजे, प्रदेश विश्वविद्यालय में 3 से 4 बजे एवं कृषि भवन में शाम 4:15 से 5:30 तक मौजूद रहेगी जहां उपभोक्ता रसायनरहित उत्पाद खरीद सकेंगे।
इस पहल से उपभोक्ता प्राकृतिक खेती विधि द्वारा बिना रसायनों के तैयार पोषणयुक्त फल-सब्जी आसानी से खरीद सकेंगे। चुनिंदा स्थानों पर चलने वाली मोबाइल वैन में पहले दिन 10 क्विंटल मौसमी सब्जियां, फल व अन्य उत्पाद बिक्री के लिए लाए गए थे जिनमें ग्राहकों ने विशेष रूचि और उत्साह दिखाया। राज्य सचिवालय में बड़ी संख्या में ग्राहकों ने प्राकृतिक खेती के उत्पाद हाथों-हाथ खरीदे।
प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के राज्य परियोजना निदेशक हेमिस नेगी ने बताया कि इस पहल से शिमला शहर के लोग प्राकृतिक खेती के उत्पाद अपने आसपास मौजूदा बाजार भाव पर ही खरीद सकेंगे। हम धीरे-धीरे सब्जियों व फलों के साथ अनाजों की उपलब्धता भी सुनिश्चित करेंगे। इस पहल के सकारात्मक परिणाम आने पर बाकी जिलों में भी इसे दोहराया जाएगा।
ये भी पढ़ें : –केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने आईएनडीआईए के फैसले की तुलना आपातकाल से की
हेमिस नेगी ने बताया कि प्रदेश के सभी उपभोक्ताओं को प्राकृतिक खेती के उत्पाद मिल सकें इसके लिए स्थानीय मंडियों में इनकी बिक्री के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही किसानों को संगठित कर उनके उत्पाद को किसान-उत्पादक कंपनियां बनाकर भी बेचा जा रहा है। वर्तमान में ऐसी 7 कंपनियां काम कर रही हैं। योजना के अधीन प्राकृतिक खेती के उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग हेतू विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना से 1.71 लाख किसान जुड़े हैं। राज्य के सभी जिलों में 24,000 हैक्टेयर से ज्यादा भूमि पर इस विधि से खेती की जा रही है। प्राकृतिक खेती से किसानों को मिले लाभों और इस योजना के प्रभावों के आकलन हेतू राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज), हैदराबाद और एकेडेमी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज़, लखनऊ ने शोध किया है।
शोध में यह सामने आया है कि प्राकृतिक खेती से किसानों की लागत में औसतन 36% कमी आई है, वहीं उनका कुल लाभ 28.6% तक बढ़ा है। 87% लाभार्थी किसानों ने माना है कि प्राकृतिक खेती अपनाने से फसलों की सूखा सहने की क्षमता एवं जल प्रबंधन बेहतर हुआ है। वहीं फसलों के रोग प्रबंधन में भी प्राकृतिक खेती बाकी विधियों से बेहतर आंकी गई है।
प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी 9 लाख 61 हजार किसानों को सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती विधि से जोड़ने का लक्ष्य रखा है ताकि हिमाचल प्रदेश को ‘प्राकृतिक खेती राज्य’ के रूप में पहचान दिलवाई जा सके।