नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में पहली बार किसी मूकबधिर वकील ने केस में बहस की है। मामले में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के रुख ने इस मामले को और अधिक संवेदनशील बना दिया, जब उन्होंने वर्चुअल सुनवाई के दौरान आॅन स्क्रीन जगह देने को कहा। मामला शुक्रवार 22 सितंबर का है। देश के सर्वोच्च न्यायालय की वर्चुअल सुनवाई हो रही थी। तभी स्क्रीन पर एक छोटी सी विंडो उभरी, उसमें एक व्यक्ति को सांकेतिक भाषा में अदालती कार्यवाही की व्याख्या करते हुए दिखाया गया।
भारतीय सांकेतिक भाषा के दुभाषिया, सौरव रॉय चौधरी उस विंडों में दिख रहे थे, जिनकी उपस्थिति की व्यवस्था एडवोकेट आॅन रिकॉर्ड संचिता ऐन द्वारा की गई थी। संचिता ने यह कोशिश अपनी बधिर कनिष्ठ, एडवोकेट सारा सनी के लिए किया था। संचिता चाहती थीं कि उनकी जूनियर वकील बधिर सारा सनी मामले की सुनवाई में अपना पक्ष रखे और खुद अदालती प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग ले। वर्चुअल कोर्टरूम में इस तरह पहली बार सुनवाई हो रही थी। इसे देख लोग आश्चर्यचकित थे। वहीं, दुभाषिए सौरव की गति को देखकर सभी अंचभित थे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी उनकी तारीफ करने से खुद को नहीं रोक पाये।
मेहता ने कहा कि जिस गति से दुभाषिया सांकेतिक भाषा में व्याख्या कर रहा है, वह अद्भुत है। भारत की पहली प्रैक्टिसिंग बधिर वकील सारा सनी ने दुभाषिया द्वारा सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करने पर खुशी जताई और चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की प्रशंसा की।