Shimla: हिमाचल प्रदेश में मानसूनी आपदा के बाद प्रभावितों की मदद के लिए राज्य सरकार ने आपदा राहत कोष का गठन किया है। इस कोष में अब तक दो सौ करोड़ से अधिक राशि जमा हो चुकी है। आपदा प्रभावितों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए सुक्खू सरकार ने 3500 करोड़ के विशेष आपदा राहत पैकेज का एलान भी कर चुकी है।
दरअसल, हिमाचल में इस साल मानसून के दौरान प्राकृतिक आपदाओं का कहर टूटा था। इस आपदा में राज्य में हजारों लोग बेघर हुए थे, जबकि पांच सौ लोग काल के गाल में समा गए थे। एक सरकारी प्रवक्ता ने सोमवार को बताया कि आपदा राहत कोष-2023 में अब दो सौ करोड़ रुपये से अधिक का अंशदान जमा हो चुकी है। इस कोष में आम जनता, बच्चे, स्वयंसेवी संगठन, समाजसेवी, कारोबारी, उद्यमी व राजनीतिज्ञों ने दान दिया है। इस कोष का उद्देश्य राज्य में मूसलाधार बारिश और भू-स्खलन से भारी नुकसान झेलने वाले परिवारों को राहत एवं उनके पुनर्वास कार्यों में मदद करना है।
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प्रवक्ता ने बताया कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बीच भी हिमाचल प्रदेश में अंशदान के रूप में 145 करोड़ रुपये की राशि एकत्र हुई थी, जबकि आपदा राहत कोष-2023 के लिए परोपकारी सहायता की राशि आशा से कहीं अधिक रही है। सहायता अभी भी जारी है, जिससे इस कोष में तीन सौ करोड़ रुपये से अधिक की राशि एकत्र होने की उम्मीद है। प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने भी इस कोष में अपनी व्यक्तिगत बचत से 51 लाख रुपये दान दिए थे। मुख्यमंत्री की प्रेरणा से छोटे बच्चों ने अपनी गुल्लक की राशि दान की है।
राहत एवं पुनर्वास के प्रयास के लिए मुख्यमंत्री सुक्खू (cm sukhu) की माता संसार देवी ने भी 50 हजार रुपये, बहन संजोक्ता देवी ने आपदा राहत कोष के लिए 1.11,111 रुपये का योगदान दिया है।