नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से तो देश जूझ ही रहा है लेकिन इसके अलावा भी सरकार और नागरिकों के लिए एक बड़ी चुनौती मुंह बाए खड़ी है. ये चुनौती है कोविड-19 से जुड़े कचरे की. कोरोना की दूसरी लहर से ना केवल देश में जान-माल का भारी नुकसान हुआ है बल्कि बायोमेडिकल कचरे में भी जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक, बायोमेडिकल वेस्ट यानि वो कचरा जो किसी भी इंसान या जानवर के इलाज के दौरान या किसी शोध की गतिविधि के दौरान अस्पताल में इकट्ठा होता है. बायोमेडिकल कचरे का सही मैनेजमेंट इंफेक्शन को फैलने से रोकता है और कोरोना काल में ये और ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है.
बायोमेडिकल कचरे में कैप्स, मास्क, प्लेसेंटा, पैथोलॉजिकल कचरा, प्लास्टर ऑफ पेरिस, ऑपरेट करने के बाद निकाले गए अंग, एक्सपायर हो चुकी दवाएं, रेडियोएक्टिव कचरा, ग्लव्ज, ब्लड बैग, डायलिसिस किट्स, आईवी सेट्स, यूरिन बैग्स, केमिकल कचरा जैसी कई चीजें शामिल हैं. साइंटिफिक तरीके से डिस्पोज ना करने पर ये पर्यावरण के साथ ही इंसानों के लिए भी खतरनाक हो सकता है.
गौरतलब है कि भारत के सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड(CPCB) ने देशभर में कोविड कचरे को डिस्पोज करने के लिए गाइडलाइंस बनाई हैं. कोरोना मरीजों के क्वारनटीन, जांच और इलाज के दौरान पैदा हुए कचरे को इन्हीं गाइडलाइंस के तहत डिस्पोज किया जाना है.
10 मई 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक, मई महीने में रोज औसतन 203 टन कोविड कचरे का उत्पादन हो रहा है.
सरकार के नियमों के मुताबिक, बायोमेडिकल कचरे को तीन तरह के बैगों में कलेक्ट किया जाना है. इनमें यैलो बैग(जलाए जाने वाला कचरा), रेड बैग(रिसाइकिल होने वाला कचरा) और व्हाइट बैग(नुकीले और कांच से जुड़ा कचरा) शामिल है.
आमतौर पर एक पीपीई किट में गॉगल्स, फेस शील्ड्स, मास्क, ग्लव्ज, गाउन, हेड कवर और शू कवर जैसी चीजें शामिल होती हैं जो कोरोना के इंफेक्शन से बचाव करने में कारगर होती है. लेकिन इनमें इस्तेमाल होने वाले सिंगल यूज प्लास्टिक्स माइक्रोप्लास्टिक्स में तब्दील हो जाते हैं जिन्हें रिसाइकिल करना लगभग नामुमकिन होता है.
ये माइक्रोप्लास्टिक्स खेतों से लेकर नदियों में पहुंचते हैं और इसके बाद हवा और खाने का हिस्सा बन जाते हैं. भारत में पिछले कुछ समय से अस्पतालों का इंफ्रास्ट्रक्चर भी बेहतर हुआ है. इसके चलते बायोमेडिकल और प्लास्टिक कचरा भी बढ़ रहा है. ऐसे में मौजूदा समय में कोरोना से जुड़े और अन्य बायोमेडिकल कचरे को डिस्पोज करने के लिए खास सतर्कता बरतने की जरूरत है.