Washington: अमेरिका दिसंबर में एच-1बी वीजा की कुछ श्रेणियों के नवीनीकरण के लिए एक प्रायोगिक कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है जिसमें खासतौर पर बड़ी संख्या में भारतीय प्रौद्योगिकी पेशेवरों को लाभ होगा। एच-1बी वीजा एक गैर-आव्रजक वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को खास पेशों में विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की इजाजत देता है। प्रौद्योगिकी कंपनियां प्रति वर्ष भारत और चीन जैसे देशों से हजारों की संख्या में कर्मचारी भर्ती करती हैं। प्रायोगिक कार्यक्रम में केवल 20 हजार उम्मीदवारों को शामिल किया जायेगा और इसकी घोषण उस वक्त की गयी थी जब जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अमेरिका की यात्रा की थी। दिसंबर से तीन महीने की अवधि में विदेश मंत्रालय उन विदेशी नागरिकों को 20 हजार वीजा जारी करेगा जो पहले से ही देश में हैं।
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विदेश मंत्रालय पिछले कुछ समय से प्रायोगिक आधार पर इस तरह का कार्यक्रम शुरू करने की दिशा में काम कर रहा था, लेकिन पीएम मोदी की यात्रा के दौरान इसकी औपचारिक तौर पर घोषणा की गयी। वीजा सेवाओं के लिए उप सहायक विदेश मंत्री जूली स्टफ्ट (Foreign Minister Julie Stiff) ने बताया कि अमेरिका ने कागजरहित वीजा जारी करने संबंधी एक प्रायोगिक कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा किया है जिसके बाद पासपोर्ट पर वीजा की मोहर लगाना अथवा कागज चिपकाना अब अतीत की बात होगी। अमेरिका ने हाल ही में डबलिन में अपने राजनयिक मिशन में छोटे स्तर पर कार्यक्रम पूरा किया है और वह इसे बड़े पैमाने पर शुरू करने की योजना बना रहा है। स्टफ्ट ने कहा कि इसका व्यापक इस्तेमाल करने में हमें शायद 18 महीने या इससे भी अधिक समय लगेगा…। एक बयान में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के नेता अजय जैन भूटोरिया ने विदेश विभाग के इस कदम को महत्वपूर्ण बताया।