लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस (12 जून) के उपलक्ष्य में आयोजित बाल श्रम निषेध सप्ताह (12 से 17 जून) का समापन समारोह गुरूवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के मार्स ऑडिटोरियम में हुआ। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश को 2027 तक बाल श्रम मुक्त बनाने का संकल्प लिया गया। इस कार्यक्रम में श्रम विभाग, शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, पंचायत, समाज कल्याण विभागों के अधिकारी, गैर सरकारी संगठन, छात्र, बाल श्रमिकों के परिजन और लाभार्थी बच्चों सहित 1,000 से अधिक प्रतिभागी उपस्थित रहे। सभी ने योगी सरकार के बाल संरक्षण संकल्प को सशक्त समर्थन प्रदान किया।

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मुख्य अतिथि श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को वर्ष 2027 तक बाल श्रम मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह एक कठिन चुनौती है, परन्तु योगी सरकार ने जिस समर्पण और दूरदर्शिता से कार्य किया है। हम यह लक्ष्य अवश्य प्राप्त करेंगे। राजभर ने कहा कि दुनिया में सबसे अधिक बाल श्रमिक अफ्रीका, फिर एशिया और एशिया के भारत में हैं और भारत में सर्वाधिक संख्या उत्तर प्रदेश में पाई जाती है। उन्होंने इसे एक गम्भीर सामाजिक और प्रशासनिक चुनौती बताया, जिसे पूरे सरकारी तंत्र की एकजुटता से समाप्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सीएम योगी के नेतृत्व में यूपी बाल सुरक्षा, शिक्षा और सम्मान का उदाहरण बना रहे हैं।
–संवेदनशील सरकार, ठोस कार्ययोजना
विशेष सचिव कुनाल सिल्कू ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि योगी सरकार ने बाल सुरक्षा के लिए बहुआयामी रणनीति बनाई है। जिसमें पुनर्वास, शिक्षा, स्वास्थ्य और पंचायत स्तर तक निगरानी शामिल है। यूनिसेफ के कार्यक्रम प्रबंधक अमित मेहरोत्रा ने कहा कि बाल श्रम हर उस बच्चे के अधिकारों का उल्लंघन है, जो शिक्षा, सुरक्षा और संरक्षण का पात्र है। यूनिसेफ, योगी सरकार के साथ मिलकर ज़मीनी स्तर पर कार्य कर रहा है।
–11,000 से अधिक बच्चों का पुनर्वास: श्रम विभाग
श्रम आयुक्त मार्कण्डेय शाही ने बताया कि पिछले वर्ष 11,000 से अधिक बाल श्रमिकों को चिन्हित कर उनका पुनर्वास कराया गया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में हमारा यह अभियान ‘बचपन बचाओ’ का नहीं, बल्कि ‘भविष्य बचाओ’ का अभियान बन चुका है। प्रमुख सचिव (श्रम) डॉ. एम.के. शनमुगा सुंदरम ने कहा कि अब बाल श्रम केवल सामाजिक नहीं, बल्कि वैश्विक चुनौती है। हमें उत्तर प्रदेश को एक ऐसा राज्य बनाना है, जहां हर बच्चा स्कूल जाए और सम्मान के साथ जीवन जिए, यही योगी सरकार का संकल्प है।
–वैश्विक रिपोर्ट के आंकड़े चिंताजनक
आईएलओ और यूनिसेफ की जिनेवा में जारी रिपोर्ट के अनुसार 2024 में 13.8 करोड़ बच्चे बाल श्रम में लिप्त, जिनमें से 5.4 करोड़ खतरनाक कार्यों में लगे थे। भारत में 1 करोड़ से अधिक बाल श्रमिकों में उत्तर प्रदेश की भागीदारी 2.5 लाख है। कार्यक्रम में शिक्षा, महिला कल्याण, स्वास्थ्य, पंचायती राज जैसे विभागों ने अपने-अपने प्रयासों की जानकारी साझा की। बाल कल्याण समिति कानपुर के सदस्य दीप अवस्थी ने पुनर्वासन की दिशा में चल रही कार्यवाहियों पर प्रकाश डाला।
–डॉक्यूमेंट्री, पोस्टर और पुस्तिका विमोचन
महानिदेशक, अटल आवासीय विद्यालय पूजा यादव ने विद्यालय की प्रगति पर जानकारी दी और एक डॉक्यूमेंट्री प्रदर्शित की। मुख्य अतिथि अनिल राजभर ने बाल श्रम उन्मूलन पर 2 पोस्टर और एक पुस्तिका का विमोचन भी किया।
–पायल और माही को मिली नई पहचान
भिक्षावृत्ति से मुक्त कराई गई पायल और माही को मंच से सम्मानित किया गया। उन्होंने डॉक्टर बनने की इच्छा जाहिर कर सबको भावुक कर दिया। बाल श्रमिक विद्या योजना, मातृत्व हित योजना सहित विभिन्न योजनाओं के तहत 50 से अधिक लाभार्थियों को प्रमाणपत्र और लाभ वितरित किए गए।
–योगी सरकार की नीति को मिला जनसमर्थन
कार्यक्रम के अंतिम सत्र में ट्रेड यूनियनों व एम्प्लॉयर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने बाल श्रम के खिलाफ संयुक्त प्रतिबद्धता जताई। 10 जिलों में लखनऊ, कानपुर, गौतमबुद्ध नगर, मेरठ, आगरा, गाज़ियाबाद, मुज़फ्फरनगर, उन्नाव, जौनपुर, आज़मगढ़ को बाल श्रम उन्मूलन में उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया।


