Chandigarh: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Maan) ने केंद्र व हरियाणा सरकार को एसवाईएल की बजाए वाईएसएल का निर्माण करने की सलाह दी है। मुख्यमंत्री मान बुधवार को लुधियाना में आयोजित ‘मैं पंजाब बोलदा’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
प्रदेश सरकार ने पंजाब दिवस पर इस बहस कार्यक्रम को आयोजित किया था। इसमें प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों पर खुली बहस के लिए विपक्षी राजनीतिक दलों को भी आने का निमंत्रण दिया गया था। मुख्य मंच पर मुख्यमंत्री के अलावा भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़, अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल, कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडि़ंग तथा नेता प्रतिपक्ष प्रताप बाजवा की कुर्सियां लगाई गई थीं, लेकिन विपक्ष का कोई भी नेता इस बहस में शामिल होने के लिए नहीं पहुंचा। इस दौरान पीएयू के बाहर कई संगठनों ने विरोध प्रदर्शन भी किया।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एसवाईएल, ट्रांसपोर्ट, पंजाब पर कर्जा, रोजगार व इंडस्ट्री निवेश पांच मुद्दों पर विपक्षी दलों को घेरा। इसके बाद आप की भविष्य की योजनाएं बताई। बहस का समय दस बजे से 12 बजे तक रखा गया था। समय पूरा होने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एसवाईएल के मुद्दे के पर विपक्ष को घेरा, जिसमें अभी तक के एसवाईएल को लेकर लिए गए फैसलों की बात की गई है। वहीं, पंजाब मुद्दों पर एक बुकलेट भी छपवाई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज तक आप सरकार एसवाईएल के मुद्दे पर तीन बार सुप्रीम कोर्ट गई है। उन्होंने एक बार भी कोई हलफनामा दाखिल नहीं किया, बल्कि उर्जा मंत्री शेखावत से मिलने पहुंचे थे और एसवाईएल का पानी देने से मना किया। उन्होंने केंद्रीय मंत्री शेखावत को सुझाव दिया कि इस सतलुज यमुना नहर को यमुना सतलुज नहर (वाईएसएल) बना दिया जाए। सतलुज में अब पानी नहीं बचा। यमुना में अभी भी पानी है और उस पानी को हरियाणा और पंजाब को दिया जाए।
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मुख्यमंत्री मान ने कहा कि पहली सरकारों ने नौकरियां निकाल नियुक्ति पत्र दिए। फिर चुनाव हुए और सरकारें बदल गई। नियुक्ति पत्र लेकर भी नौकरियां नहीं ले सके। अब आप सरकार नौकरियां दे रही हैं। मान ने कहा कि सिर्फ 18 महीने में हम 56 हजार 796 करोड़ का निवेश लेकर आए,जबकि बीते पांच सालों में ये 1.17 लाख और उससे पहले 2013 से 2017 तक 32 हजार 995 करोड़ रुपये था।
मान ने कहा कि पंजाब के खजाने पर कर्जे का बोझ वर्ष 2012 में पड़ना शुरू हो गया था। वर्ष 2012 में 83099 करोड़ का कर्जा था, जो अब 3.14 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। कई पुरानी अदायगियां छोड़ी गईं, जिसे अब धीरे-धीरे वापस किया जा रहा है।
मान ने दूसरा मुद्दा ट्रांसपोर्ट का उठाया। मान ने अकाली दल की कुर्सी की तरफ इशारा करते हुए बताया कि इन्होंने गलत तरीकों से अपने रूट लिए। 31-31 किमी का रूट बढ़ाते बढ़ाते दूर-दूर तक पहुंच गए। दिल्ली एयरपोर्ट से प्राइवेट बसें चलती थीं। 3500 रुपये किराया लिया जाता था। आप सरकार ने बसें चलाई और 1100 रुपये में दिल्ली एयरपोर्ट से बसें चलाई।