Begusarai: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (pm narendra modi) के संकल्प से बने बिहार के इकलौते खाद कारखाना हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड बरौनी का नीम कोटेड ”भारत” यूरिया बिहार के साथ पड़ोसी राज्यों के किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। गति शक्ति कार्गो टर्मिनल बनने से रेलवे के आय में बड़ा इजाफा हुआ है। ‘भारत’ ब्रांड का यह यूरिया खाद आयात को भी कम कर चुका है। यह भारतीय रेलवे के आय का भी बड़ा साधन बन गया है।
सोनपुर मंडल के डीआरएम ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में बरौनी खाद कारखाना से 11 सितंबर तक 350 रैक खाद लोडिंग कर बिहार के विभिन्न हिस्सों एवं झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भेजा गया। इससे रेलवे को करीब 37 करोड़ 64 लाख रुपये के राजस्व की प्राप्ति हुई है। स्थानीय श्रमिकों को भी बड़े पैमाने पर रोजगार मिले हैं। मिनी रैक में 27 हजार 300 एवं फुल रैक में 54 हजार 600 पैकेट ”भारत” यूरिया की लोडिंग हो रही है। लगातार हो रहे लोडिंग से स्थानीय श्रमिकों को काम मिल रहा है जो उनके आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करने का बड़ा साधन है।
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दरअसल, बंद पड़े बिहार के इकलौते खाद कारखाना पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड बनाकर नौ हजार करोड़ की लागत से चालू कराया गया। यहां से प्रतिदिन 3 हजार और आठ सौ 50 मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन हो रहा है। आईओसीएल, एनटीपीसी, कोल इंडिया एवं एचएफसीएल के साथ हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड का यह संयुक्त उपक्रम किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। सुलभ पहुंच के लिए रेलवे द्वारा कारखाना परिसर में गति शक्ति के लिए बिछाए गए 4.2 किलोमीटर रेलवे ट्रैक से ‘भारत’ यूरिया बिहार और अन्य समीपवर्ती राज्यों में भेजा जा रहा है।
बिहार के इस इकलौते कारखाना में बने नीम कोटेड यूरिया से ना सिर्फ खेती की लागत घट रही है, बल्कि जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ रही है। नीम कोटेड यूरिया बनाने के लिए यूरिया के ऊपर नीम के तेल का लेप चढ़ाया जाता है। नीम लेपित यूरिया धीमी गति से प्रसारित होता है, यह लेप नाइट्रीफिकेशन अवरोधी के रूप में काम करता है।जिसके कारण फसलों की आवश्यकता के अनुरूप नाइट्रोजन पोषक तत्व की उपलब्धता होती है और फसल उत्पादन में भी वृद्धि होती है।
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक नीम कोटेड यूरिया, सामान्य यूरिया के अनुपात में पांच से दस प्रतिशत तक कम लगती है, जिससे किसान की लागत घटती है। 2014 के बाद मोदी सरकार ने सबसे पहले यूरिया की शत-प्रतिशत नीम कोटिंग सुनिश्चित करने और कालाबाजारी रोकने जैसे अहम फैसलों पर काम किया, जिससे किसानों को यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।