Bhopal| आज से ठीक 40 साल पहले, दो और तीन दिसंबर 1984 की रात, भोपाल की पहचान को हमेशा के लिए बदल देने वाला हादसा हुआ था। यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के कारखाने से रिसी 45 टन मिथाइल आइसोसाइनेट गैस ने भोपाल शहर को एक जहरीली धुंध में डुबो दिया था। चार दशकों के बाद भी इस हादसे के घाव अभी तक भरे नहीं हैं।
अभी तक का हाल:
- जल प्रदूषण: कार्बाइड के जहरीले कचरे का अभी तक पूरा निपटान नहीं हुआ है, जिससे आसपास के इलाके का जल प्रदूषित है।
- पूर्ण न्याय की प्रतीक्षा: पीड़ितों को अभी भी पूर्ण न्याय की प्रतीक्षा है।
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साहित्यकार मंजू़र एहतेशाम की यादें: पद्म पुरस्कार से सम्मानित मंजू़र एहतेशाम ने उस भयावह रात को याद करते हुए कहा था, “देर रात हो चुकी थी, टेलीविजन पर मालविका सरकार का कत्थक चल रहा था। अचानक किसी के खांसने की आवाज आई। यूनियन कार्बाइड से गैस रिसने की खबर मिलने के बाद हम घर से बाहर निकले। सड़क पर खौफनाक मंजर था। हवा मानो मर चुकी थी। दम घुटा जा रहा था। लोग सड़कों पर मोम की तरह बिछे थे।”