New Delhi : अयोध्या में बने राम मंदिर (Ram Mandir) के उद्घाटन से पहले शंकराचार्यों ने भाजपा पर मंदिर का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए प्राण-प्रतिष्ठा का विरोध किया था। साथ ही उन्होंने प्राण-प्रतिष्ठा से दूरी बना ली थी। वहीं, अब कांची और श्रृंगेरी के शंकराचार्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को अपना समर्थन दिया है। साथ ही रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा (Consecration of Ramlala) समारोह के विरोध की निंदा की है।
बता दें कि श्रृंगेरी शारदा पीठम महासंस्थानम दक्षिणाम्नाय के शंकराचार्य ने आयोजन को अपना समर्थन देते हुए समारोह को पूरी तरह से हिंदू रीति-रिवाजों के अनुरूप बताया है और कहा है कि देश के लोगों के प्रतिनिधि के रूप में मोदी को पुजारियों द्वारा निर्देशित अनुष्ठान करने का पूरा अधिकार है।
इससे पहले कांची कामकोटि मठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती स्वामीगल शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती स्वामीगल ने बयान जारी कर राम मंदिर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी को समर्थन दिया था। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया था कि काशी में 100 से अधिक विद्वान 40 दिन तक विशेष यज्ञशाला का पूजन-हवन शुरू करेंगे।
दरअसल, हाल ही में एक वीडियो संदेश में जोशीमठ के ज्योतिर्पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Shankaracharya Avimukteshwarananda Saraswati) ने कहा कि चार शंकराचार्यों में से कोई भी 22 जनवरी को अयोध्या में समारोह में शामिल नहीं होगा। क्योंकि, मंदिर का निर्माण पूरा होने से पहले अभिषेक किया जा रहा था। अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा था – शंकराचार्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि धार्मिक ग्रंथों का उचित तरीके से पालन किया जाये।