नई दिल्ली: बांध टूटने से लीबिया का डर्ना शहर तबाह हो चुका है। चारों तरफ सिर्फ पानी और कीचड़ है। मलबे से शव निकलते जा रहे हैं। सवा लाख की आबादी वाले लीबिया का डर्ना शहर बर्बाद हो चुका है। साल 1970 में डर्ना शहर में यूगोस्लाविया की कंपनी ने दो बांध बनवाए थे। पहला बांध 75 मीटर ऊंचा था, जिसमें 1.80 करोड़ क्यूबिक मीटर पानी था वहीं दूसरा बांध 45 मीटर ऊंचा था जिसमें 15 लाख क्यूबिक मीटर पानी जमा हुआ था। तस्वीरें ये बताती हैं कि पिछले 20 सालों से इन डैमों का देखभाल नहीं हो रहा था। डैनियल तूफान से इन डैमों में इतना पानी भर गया कि पुराने और कमजोर बांध उसे संभाल नहीं सके। बांध टूटा और पूरे डर्ना शहर को बर्बाद कर दिया।
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दोनों बांधों को कॉन्क्रीट से बने थे। इसके मेंटेनेंस पर ध्यान नहीं दिया गया जिससे कचरा जमा होता चला गया। तूफान के बाद हुई बारिश से बांध में तेजी से पानी भरता चला गया। पूरे शहर में जलजला आ गया। बांधों को मजबूत बनाना के साथ ही मेंटेनेंस भी जरूरी था, जिसपर लीबिया सरकार ने ध्यान नहीं दिया। एक रिपोर्ट में कहा गया था कि डर्ना वैली बेसिन को तुरंत संभालने की जरुरत है, नहीं तो यहां किसी भी दिन बड़ी आपदा आ सकती है। लीबिया के हाइड्रोलॉजिस्ट अब्दुल वानिस अशूर ने कहा कि सबको इन बांधों की हालत का पता था, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया। यदि सरकार पिछले साल छपी रिपोर्ट पर ध्यान देकर बांध की सफाई करवा देती तो शायद ये नजारा देखने को न मिलता। अब इस शहर की लगभग आधी आबादी खत्म हो चुकी है।