नई दिल्ली : टाटा ग्रुप ने पश्चिम बंगाल में सिंगूर में चल रहे पुराने सिंगूर जमीन के विवाद में बड़ी सफलता हासिल की है। अब ममता सरकार को टाटा मोटर्स को 766 करोड़ रुपये का जुर्माना हर्जाना के तौर पर देना होगा। पुराने सिंगूर जमीन विवाद में टाटा ग्रुप को जीत हासिल हुई है। दरअसल, पश्चिम बंगाल के सिंगूर में टाटा मोटर्स के नैनो प्लांट को ममता बनर्जी की सरकार से पहले की वामपंथी सरकार ने अनुमति दी थी, जिसके मुताबिक बंगाल की इस जमीन पर रतन टाटा का हक है। इस जमीन पर टाटा द्वारा नैनो के प्रोडक्शन के लिए कारखाने को स्थापित किया जाना था। जिस वक्त टाटा को इस प्रोजेक्ट की अनुमति मिली थी, उस वक्त बंगाल में वामपंथी की सरकार थी। तब ममता बनर्जी वामपंथी के विपक्ष में थीं और उनकी नीतियों के खिलाफ थीं।
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ममता बनर्जी ने इस प्रोजेक्ट का विरोध किया था। जब ममला बनर्जी की सरकार बनी और जैसे ही मुख्यमंत्री की कुर्सी को संभाला, उन्होंने टाटा ग्रुप को झटका देते हुए एक नये कानून के तहत सिंगूर की करीब एक हजार एकड़ जमीन को 13 हजार किसानों को वापस लौटाने का फैसला किया। ममता बनर्जी और स्थानीय किसानों के भारी विरोध के कारण तीन अक्टूबर 2008 को टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने कोलकाता में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने इस प्रोजेक्ट को बंगाल से हटाने का ऐलान कर दिया था, जिसके चलते टाटा ने अपने नैनो प्लांट को पश्चिम बंगाल से गुजरात में शिफ्ट कर दिया था।
वहीं, टाटा मोटर्स द्वारा इस प्रोजेक्ट में किये गये पूंजी निवेश के नुकसान के कारण पश्चिम बंगाल के उद्योग, वाणिज्य और उद्यम विभाग की प्रमुख नोडल एजेंसी से मुआवजे के जरिये भरपाई करने को कहा था। बीते सोमवार को टाटा मोटर्स ने इस मामले को जीत कर फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण ने टाटा मोटर्स लिमिटेड के पक्ष में अपना फैसला सुनाया है। टाटा मोटर्स अब इस मामले में ममता बनर्जी सरकार के अधीन पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम से तकरीबन 765.78 करोड़ रुपये वसूलेगी।