New Delhi : लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मोदी सरकार समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर बड़ा दांव खेलने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार इस मॉनसून सत्र में समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) का बिल संसद में पेश कर सकती है। समान नागरिक संहिता कानून संबंधी बिल संसदीय समिति को भी भेजा सकता है।
समान नागरिक संहिता को लेकर सांसदों की राय जानने के लिए संसदीय स्थायी समिति की 3 जुलाई को बैठक बुलाई गई है। इस मुद्दे पर विधि आयोग, कानूनी मामलों के विभाग और विधायी विभाग के प्रतिनिधियों को बुलाया है। 14 जून को विधि आयोग द्वारा समान नागरिक संहिता पर आम लोगों से सुझाव मांगने के मुद्दे पर इन तीनों विभागों के प्रतिनिधियों को बुलाया गया है।
दरअसल, समान नागरिक संहिता में सभी धर्मों के लिए एक कानून की व्यवस्था होगी। हर धर्म का पर्सनल लॉ है, जिसमें शादी, तलाक और संपत्तियो के लिए अपने-अपने कानून हैं। यूसीसी के लागू होने से सभी धर्मों में रहने वालों लोगों के मामले सिविल नियमों से ही निपटाए जाएंगे।
समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार : इधर, उत्तराखंड के प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मसौदा अब पूरा हो गया है। ड्राफ्ट के साथ विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जल्द ही मुद्रित की जाएगी और उत्तराखंड सरकार को सौंपी जाएगी। माना जा रहा है कि एक पखवाड़े के भीतर समिति सरकार को रिपोर्ट सौंप देगी। कमेटी की अध्यक्ष (सेवानिवृत्त) जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई ने शुक्रवार को पत्रकारों को बताया कि वे जल्द ही रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी। इसके बाद यह सरकार को तय करना है कि वह इसको लेकर अपना क्या रुख अपनाती है। कमेटी ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि समान नागरिक संहिता पर अंतिम रिपोर्ट बनाने के लिए कम से कम 143 बैठकों का आयोजन किया गया। अंतिम बैठक 24 जून 2023 को दिल्ली में हुई थी, जिसमें उत्तराखंड (Uttarakhand) के विभिन्न हिस्सों के लोगों से बातचीत कर उनकी राय ली गई थी। उत्तराखंड में यूसीसी को लेकर जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है उसमें शादी से लेकर तलाक तक से मामलों को शामिल किया गया है। सूत्रों के मुताबिक इस ड्राफ्ट के अनुसार, शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा, हलाला और इद्दत पर रोक लगेगी और लिव इन रिलेशनशिप का ब्योरा देना जरूरी होगा। इतना ही नहीं इस ड्राफ्ट में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भी बातें शामिल की गई हैं।