रांची। झारखंड में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) का सुप्रीमो दिनेश गोप को एनआईए और झारखंड पुलिस ने संयुक्त रूप से अभियान चलाकर नेपाल से गिरफ्तार किया है। दिनेश गोप को दिल्ली लाया जा रहा है। वह नेपाल में सरदार की वेशभूषा में रह रहा था।
पुलिस सूत्रों के अनुसार दिल्ली की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) और पुलिस को बहुत बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। सुप्रीमो दिनेश गोप के कई करीबी गुर्गे के पकड़े जाने के बाद पुलिस को दिनेश गोप के बारे में बहुत कुछ पता चल गया था। एनआईए और झारखंड पुलिस के कई चुनिंदा अधिकारियों को दिनेश गोप को खोज निकालने का टास्क की विशेष टीम ने झारखंड पुलिस के सहयोग से शनिवार देर शाम गिरफ्तार किया है। पीएलएफआइ सुप्रीमो पर 25 लाख का इनाम झारखंड सरकार ने घोषित कर रखा है।
जानकारी के अनुसार खूंटी के कर्रा थाना क्षेत्र स्थित लापा मोरहाटोली निवासी दिनेश गोप की तलाश झारखंड पुलिस के साथ-साथ एनआइए भी लंबे समय से कर रही थी। उस पर ठेकेदारों,व्यवसायियों को धमकाकर लेवी और रंगदारी वसूलने तथा लेवी के रुपयों को अपने सहयोगियों के माध्यम से निवेश कराने सहित कई आरोप हैं।
टेरर फंडिंग मामले की जांच कर रही एनआइए ने गत वर्ष 30 जनवरी 2022 को पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप की दोनों पत्नियों हीरा देवी और शकुंतला कुमारी को गिरफ्तार किया था। दोनों के खिलाफ लेवी-रंगदारी के रुपयों को शेल कंपनियों में निवेश करने के आरोपितों की पुष्टि हो चुकी है। इससे पूर्व पुलिस ने रांची के बेड़ो में 10 नवंबर 2016 को दिनेश गोप के 25 लाख 38 हजार रुपये जब्त किए गए थे। जबकि एनआईए ने दिनेश गोप के सहयोगियों के पास से 42.79 लाख व करीब 70 लाख रुपये की अन्य चल-अचल संपत्ति जब्त की थी। एनआईए की जांच में अब तक दो दर्जन से अधिक बैंकों में दिनेश गोप के पारिवारिक सदस्यों और दोनों पत्नियों के माध्यम से 2.5 करोड़ रुपये के निवेश की जानकारी भी मिल चुकी है।
बताया जाता है कि पिछले एक साल में झारखंड पुलिस की पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप के दस्ते के साथ आधा दर्जन से अधिक मुठभेड़ हुई। लेकिन हर मुठभेड़ में दिनेश गोप बचकर भाग निकलता था। रांची से 35 किमी दूर खूंटी जिले के जरियागढ़ थाना क्षेत्र में लाप्पा मोहराटोली में मोस्ट वांटेड पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप का गांव है। दर्जनों लोगों की हत्या का आरोपी दिनेश गोप लंबे समय से पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ था, जिसे झारखंड और बिहार पुलिस के अलावा एनआईए भी खोज रही थी।