पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि बिहार के धार्मिक और सांस्कृतिक मानचित्र पर जल्द ही एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। मिथिलांचल की पावन भूमि पुनौराधाम में मां जानकी के भव्य मंदिर की आधारशिला 8 अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की उपस्थिति में रखी जाएगी।
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882 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनने वाला यह मंदिर न सिर्फ बिहार, बल्कि पूरे देश के लिए श्रद्धा और गर्व का नया केंद्र बनेगा। अयोध्या की तर्ज पर विकसित होने वाला यह तीर्थस्थल राज्य को नई पहचान दिलाने, धार्मिक पर्यटन को नई रफ्तार देने और हजारों स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार की राह खोलने जा रहा है।
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि पुनौराधाम पूर्ण रूप से तीर्थ स्थल के रूप में विकसित होने से बिहार में धार्मिक पर्यटन को गति मिलेगी और रोजगार के अवसर तेजी से बढेंगे। अयोध्या के रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के अनुरूप सीतामढी में मां सीता की जन्म स्थली, पुनौराधाम के समग्र विकास की योजन 2028 तक पूरी होगी। सीता मंदिर और उसके आसपास लगभग 67 एकड़ भूमि में यह तीर्थ क्षेत्र विकसित हो रहा है।
उन्हाेंने कहा कि सरकार की इन पहलों का बड़ा लक्ष्य आर्थिक और सामाजिक विकास को भी आगे बढ़ाना है। रामायण सर्किट के साथ ही केंद्र सरकार ‘हिंदू सर्किट’ योजना के तहत बाबा अजगैवीनाथ, सिंहेश्वर, उग्रतारा, चंडीस्थान, त्रिवेणी, मतिहानी, सुलेश्वर इत्यादि 14 प्रमुख मंदिरों को भी धार्मिक पर्यटन के विकास में शामिल कर रही है। इसके अलावा बोधगया, देवघर, गया, वैशाली जैसे बौद्ध और जैन स्थलों का भी विकास किया जा रहा है। इन सभी तीर्थों, मठ-मंदिरों और धार्मिक स्थलों के विकास से होटल, रेस्त्रां, ट्रांसपोर्ट, गाइडिंग, हस्तशिल्प, स्थानीय बाजार, और अन्य छोटी-बड़ी सेवाओं में रोजगार के हजारों नए मौके बनेंगे। हजारों स्थानीय युवाओं, महिलाओं और छोटे कारोबारियों के लिए यह जीवन में नया अवसर होगा।
सम्राट चौधरी ने कहा कि माता सीता की जन्मस्थली ऐतिहासिक पुनौराधाम अब रामायण सर्किट का अहम हिस्सा बन चुका है। केंद्र और राज्य सरकार की योजना है कि यह धार्मिक स्थल सीधे-सीधे अयोध्या, जनकपुर, अहिल्या स्थान (दरभंगा), फुलहर (मधुबनी) और बक्सर जैसे उन तमाम जगहों से जुड़ेगा, जो रामायण काल और माता सीता के जीवन से जुड़े हुए हैं। राम और सीता के जीवन प्रसंग से जुड़ी इन जगहों के एक साथ विकास से बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल—तमाम स्थान एक सांस्कृतिक धरोहर की डोर में बंध जाएंगे। इससे देश-विदेश के श्रद्धालुओं, पर्यटकों और रिसर्चर्स की अवागमन बढ़ेगी, जिससे धार्मिक पर्यटन को गति मिलने के साथ-साथ राज्य की छवि भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत होगी। केंद्र और राज्य सरकार यहां की संस्कृति, आस्था और आर्थिक समृद्धि के मिलन बिंदु के तौर पर इस तीर्थ क्षेत्र को विकसित करने के सपने को हकीकत में बदल रही हैं। इसके बाद बिहार पूरे उत्तर भारत में धार्मिक पर्यटन के प्रमुख केंद्र के रूप में उभरने के लिए तैयार है।