पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को मुख्य सचिवालय स्थित सभा कक्ष में संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ के पूर्व तैयारियों की समीक्षा की। समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों के अधिकारियों को कई अहम निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि राज्य के खजाने पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है। राज्य सरकार बाढ़ और सुखाड़ की स्थिति में प्रभावितों को हरसंभव मदद करती है, इसे ध्यान में रखते हुये सभी संबद्ध विभाग और अधिकारी सतर्क रहें।
यह भी पढ़े : मृत खाताधारी के नाम पर एसबीआई से पैसे निकालने वाला धराया
मुख्यमंत्री ने कहा कि नवम्बर, 2005 से पहले आपदा प्रबंधन के लिए ठीक से काम नहीं होता था। नवम्बर, 2005 में भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड की सरकार बनने के बाद आपदा प्रबंधन एवं आपदा पीड़ितों को शीघ्र सहायता उपलब्ध कराने के लिए गंभीरता से काम किया गया। वर्ष 2007 में जो बाढ़ आई थी, उससे 22 जिलों के लगभग 2.5 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे। तब प्रभावित लोगों के लिए बड़े पैमाने पर राहत और बचाव का कार्य किया गया ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2008 में कोसी त्रासदी के दौरान 5 जिलों सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया एवं अररिया में लगभग 34 लाख लोग प्रभावित हुए थे, जिनको राहत पहुंचाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया गया । विश्व बैंक से कर्ज लेकर राहत एवं पुनर्वास का काम किया गया । वर्ष 2016 से बाढ़ प्रभावित परिवारों को आनुग्रहिक अनुदान के अंतर्गत कुल 6 हजार रुपये की राशि भुगतान करने का निर्णय लिया गया, जिसे वर्ष 2023 में बढ़ाकर 7 हजार रुपये किया गया। बाढ़ एवं अन्य आपदाओं में मृत व्यक्तियों के आश्रितों को 4 लाख रुपये का अनुग्रह अनुदान देने की व्यवस्था की गयी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा के समय बाढ़ एवं सुखाड़ प्रभावित क्षेत्रों में जाकर तथा एरियल सर्वे के माध्यम से भी स्थिति का जायजा लिया जाता है, ताकि लोगों को किसी तरह की समस्या नहीं हो। उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारी एवं संबंधित विभाग बाढ़ एवं सुखाड़ से निपटने के लिए पूरी तैयारी करें। इस महीने के अंत तक बाढ़ एवं सुखाड़ से निपटने की तैयारियां पूरी कर ली जाय। जिलाधिकारी एवं विभागीय पदाधिकारी क्षेत्र में जाकर स्थिति का आकलन करें और लोगों से बात कर समस्याओं का समाधान करें।
मुख्यमंत्री ने सभी क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मती समय पर करने, नदी के तटबंधों की सुरक्षा करने का निर्देश भी दिया, ताकि कहीं पर तटबंध टूटने की घटना न हो। उन्होंने कहा कि बाढ़ की स्थिति में लोगों के ईलाज के लिए आवश्यक व्यवस्था कर ली जाय। पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। बाढ़ या सुखाड़ में फसल क्षति की स्थिति में किसानों की सहायता के लिए पूरी तैयारी कर ली जाय। बाढ़ या सुखाड़ की आपदा की स्थिति में लोगों को राहत पहुंचाने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्था पूर्व में ही कर ली जाय। आपदा प्रबंधन विभाग लगातार तैयारियों की मॉनिटरिंग करे, ताकि लोगों को कोई समस्या नहीं हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मौसम के बदलाव को ध्यान में रखते हुये हर चीज पर नजर रखनी है और पूरी तरह से सतर्क रहना है। मुस्तैदी के साथ सभी लोग लगे रहेंगे, तो आपदा की स्थिति में लोगों को राहत मिलेगी। सभी जिलों के प्रभारी मंत्री एवं प्रभारी सचिव जिलों में जाकर बैठक करें और वस्तु स्थिति की जानकारी लें और उसी आधार पर कार्य करें। जून के प्रथम सप्ताह तक अपने-अपने क्षेत्रों की स्थिति एवं समस्याओं का बेहतर ढंग से आकलन कर उसके समाधान के लिये कार्य करें।