एहसान अंसारी
चरही। चुरचू प्रखण्ड के इंदरा पंचायत अंतर्गत 15 माइल में स्थित चिंतपूर्णी स्टील प्लांट का नियम विरुद्ध कार्यों से पर्दा एक-एक करके उठने लगा है। पहले ग्रामीणों द्वारा फैक्ट्री के गैर-मजूरुआ भूमि के लगान रशीद काटने की शिकायत मुख्यमंत्री, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री और हजारीबाग डीसी से करना और अब फैक्ट्री से निकलने वाले जहरीले धुंए से गंभीर रूप से बीमार होने के मामलों सामने आना। इन सब से फैक्ट्री और इसके मालिकों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बनता दिख रहा है! वर्ष 2005 में इस फैक्ट्री को प्रदूषण विभाग से स्थापना हेतु सहमति पत्र प्राप्त हुआ। इसके स्थापना से ग्रामीणों को उम्मीद थी कि रोजगार प्राप्त होगा और सुख-सुविधा मिलेगा। परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि फैक्ट्री आसपास के गांवों के लिए मुसीबत बन गई! यह फैक्ट्रियां विषैली गैस और धुएं के रूप में जहर उगल रही है। ऐसा हमारा नहीं बल्कि गांव के लोगों का कहना है। स्वदेश टूडे की टीम ने पड़ताल में पाया कि फैक्ट्री से इंदरा और 15 माइल के लोग ही नहीं बल्कि इससे सटे मांडू का कुछ इलाका भी प्रभावित है। इससे निकलने वाला धुंआ कई किमी दूर तक उड़ कर जाता है। बच्चों से लेकर बड़ों तक सांस के मरीज बनकर जिंदगी के लिए जूझ रहें हैं। क्षेत्रवासियों ने नुकसान पहुंचा रहे उद्योग को बंद कराने की मांग प्रशासन से की है। 15 माइल निवासी मीना देवी बताती है कि चिंतपूर्णी फैक्ट्री के जहरीले धुंए की वजह से उनके और उनके पति कारू साव को टीवी जैसे गंभीर सांस की बीमारी हो गयी थी। इलाज के लिये मुम्बई जाना पड़ा। सालों तक इलाज चला और तीन लाख रुपये खर्च हो गए। इलाज के लिए लिये गए कर्ज को अब भी वह चुका ही रही है। वही प्लांट में काम करने वाले जोजोबेड़ा निवासी शंकर मरांडी बताते है कि उन्हें भी फैक्ट्री के जहरीले धुएं से टीबी हुआ था। उस समय वह फैक्टरी में काम करते थे। उन्होंने खुद से ही सरकारी अस्पताल में इलाज करवाया। फैक्टरी ने कोई भी मदद नहीं की बल्कि बीमार होने के बाद उन्हें फैक्टरी से ही निकाल दिया। *फैक्ट्री बच्चों के पढ़ाई में बन रही है बाधा : शिक्षिका नीलम पुष्पलता पूर्ति* 15 माइल जोजोबेड़ा स्थित नवप्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका नीलम पुष्पलता पूर्ति बताती हैं कि चिंतपूर्णी फैक्ट्री से गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वह बताती हैं कि उनके विद्यालय में करीब 35 बच्चे पढ़ते हैं। फैक्ट्री के धुएं के वजह से बच्चों को सांस संबंधी और चर्म रोग की समस्या होती रहती है। उनके अनुसार फैक्ट्री को जो सुविधा दिया जाना चाहिए वह नहीं दिया गया है। फैक्ट्री की शोर के वजह से पढ़ाई बाधित होती है।