Kota: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (cm Ashok Gehlot) कोटा दौरे के दौरान गुरुवार को नाराज कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह से मिलने पहुंचे। विधायक भरत सिंह बीते कुछ दिनों से नाराज थे और लगातार मुख्यमंत्री और अधिकारियों के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे।
सीएम गहलोत सुबह पूर्व मंत्री और सांगोद से विधायक भरत सिंह के निवास पहुंचे, जहां दोनों के बीच कुछ ही घंटों के फासले में दूसरी बार बातचीत हुई। इस दौरान यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा और विधायक रफीक खान भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री के पहुंचने पर विधायक भरत सिंह और उनके समर्थकों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। लंबे समय से नाराज चल रहे विधायक भरत सिंह की बुधवार रात को भी सीएम गहलोत से बंद कमरे में तकरीबन 15 मिनट तक चर्चा हुई थी। पूर्व मंत्री ने खान की झोपड़ी गांव सहित कई अन्य मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री के सामने अपनी बात रखी।
इस मुलाकात के बाद भरत सिंह ने कहा कि सीएम ने मेरे घर आने की मंशा जताई थी, मुझे यह पता चला तो मैंने उन्हें कहा कि मैं ही आ जाता हूं। सिर मुंडवाने के सवाल पर भरत सिंह ने कहा कि बात रखने का अपना-अपना तरीका होता है, मैंने सिर मुंडवाया है। विधायक भरत सिंह ने खान मंत्री प्रमोद जैन भाया के कथित भ्रष्टाचार और उसके प्रति मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अनदेखी के खिलाफ बीते मंगलवार को मुंडन कराया था।
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इससे पूर्व सिंह ने मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए कहा था कि आपका ‘ईमान मर जाने पर’ मैं मुंडन करवा कर अपने केश आपको भेंट कर रहा हूं। कृपया यह तुच्छ भेंट स्वीकार करें एवं महात्मा गांधी को याद कर उनके बताएं सात पाप पर चिंतन करें। उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री पद स्थाई नहीं होता है। भरत सिंह ने कहा, मेरा चेहरा ही अब विरोध करेगा। इन मुद्दों को लेकर मैं बात कर रहा हूं, मैं अपने मुंह से कोई बात नहीं बोलूंगा। वह अपने आप ही महसूस करेंगे कि मुझे किन बातों को लेकर तकलीफ है। किसी ने नंगे पैर जिला बनाने को लेकर मांग की थी, जिला बन गया तो यह प्रतीकात्मक विरोध खत्म हो गया था। उसी तरह से मैं भी प्रतीकात्मक विरोध करता रहूंगा। यह मुद्दा मेरे लिए अब महत्वपूर्ण भी नहीं है। मैं बच्चों की तरह जिद नहीं कर सकता, मैंने अपनी बात कह दी है, लेकिन सिर पर बाल नहीं रखकर विरोध जारी रहेगा।
भरत सिंह का कहना था कि भाजपा और कांग्रेस में यही अंतर है। भीलवाड़ा के शाहपुरा से विधायक कैलाश मेघवाल काफी वरिष्ठ हैं और लगातार भाजपा से विधायक भी रहे हैं, इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया। क्योंकि उन्होंने पार्टी के नेताओं के खिलाफ बयानबाजी की थी। हमारी पार्टी में लोकतंत्र और संविधान है, मैं लगातार पार्टी के नेताओं के खिलाफ मुद्दे उठाता था और बोलता था, इसके बावजूद भी मेरा सम्मान किया जाता है, मुझे पार्टी से बाहर नहीं निकाला गया। साथ ही कोई नोटिस भी नहीं दिया गया, अगर मैं भाजपा में होता तो बाहर फेंक दिया जाता।
सिंह ने कहा, मैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखता रहा हूं। मैं पत्र लिखता हूं, उनको मैं सार्वजनिक भी कर देता हूं, ताकि लोगों को पता चल जाए कि मैं क्या बोल रहा हूं। मुख्यमंत्री से मेरे संबंध हमेशा मधुर रहे हैं, लेकिन जिन मुद्दों पर मैं सहमत नहीं हूं, उन पर नाराजगी प्रकट करनी होती है। मैं मेरे पिता से भी ऐसे ही बोलता रहता था। यह मेरा स्वभाव है, जो गलत लगता है, उस पर बोलता हूं।