श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को गांदरबल जिले के प्रसिद्ध खीर भवानी मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्होंने यह पूजा अपने विधानसभा क्षेत्र के दौरे के दौरान की, जहां उन्होंने कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया। खीर भवानी मंदिर कश्मीरी पंडितों के लिए अत्यंत श्रद्धा का केंद्र है और यहां हर वर्ष आयोजित होने वाला मेला एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन माना जाता है।
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मुख्यमंत्री ने पूजा के बाद कहा कि खीर भवानी मेला और अमरनाथ यात्रा के सफल और सुरक्षित संचालन को लेकर सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। उन्होंने यह आश्वासन दिया कि मेले और यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक इंतजाम किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस बार मेले का आयोजन जून के पहले सप्ताह में होने की संभावना है, जबकि अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से प्रारंभ होगी।
उमर अब्दुल्ला ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि सरकार का उद्देश्य है कि खीर भवानी मेला पहले सफलतापूर्वक सम्पन्न हो और उसके बाद अमरनाथ यात्रा दोनों मार्गों – सोनमर्ग और पहलगाम – से सुरक्षित रूप से आयोजित की जाए। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि सभी श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के यात्रा करें और सकुशल अपने घर लौटें।”
इसके अलावा, उमर अब्दुल्ला ने गांदरबल के बाकुरा क्षेत्र में पीने के पानी की आपूर्ति से जुड़ी एक बड़ी परियोजना का भी उद्घाटन किया। उन्होंने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए बताया कि यह योजना 4,000 से अधिक लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराएगी। इस अवसर पर मंत्री सकीना इटू, जावेद अहमद राणा और सलाहकार नासिर सोगामी भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परियोजना सरकार की जनकल्याण और बुनियादी सुविधाओं में सुधार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
खीर भवानी मंदिर की मान्यता और पौराणिक कथा
खीर भवानी मंदिर, जिसे रागन्या देवी मंदिर भी कहा जाता है, कश्मीर के गांदरबल जिले के तुलमुल गांव में स्थित है। इस मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक मान्यता है कि लंका के राजा रावण खीर भवानी देवी का परम भक्त था। देवी उसके तप से प्रसन्न थीं, लेकिन जब रावण ने देवी सीता का अपहरण किया तो देवी उससे नाराज़ हो गईं।
कहानी के अनुसार, देवी ने हनुमानजी से कहा कि वे उनकी मूर्ति लंका से हटाकर किसी और पवित्र स्थान पर स्थापित करें। इसके बाद हनुमान जी ने खीर भवानी माता की मूर्ति को लेकर कश्मीर के तुलमुल गांव में स्थापित किया। तभी से यह स्थान देवी की उपस्थिति का प्रतीक बन गया।
मंदिर का नाम ‘खीर भवानी’ इसलिए पड़ा क्योंकि यहां मां को खीर का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि खीर का भोग माता को अत्यंत प्रिय है और इससे वे प्रसन्न होती हैं। इस भोग को भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। खीर भवानी मेला, जो हर साल जून में आयोजित होता है, कश्मीरी पंडितों के लिए गंगा दशहरा के अवसर पर एक धार्मिक उत्सव बन गया है। देश-विदेश से हज़ारों श्रद्धालु इस दिन माता रागन्या देवी के दर्शन करने के लिए तुलमुल पहुंचते हैं।