नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों से अपील की है कि वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़ी किसी न किसी एक जगह की यात्रा जरूर करें। चाहें वह दिल्ली, पोरबंदर, चंपारण या वर्धा ही क्यों न हो, सभी को एक न एक जगह की यात्रा करनी चाहिए और उस स्थान से जुड़ी तस्वीरें और उन पर अपने विचार व्यक्त कर सोशल मीडिया पर साझा करें।
मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित लोकप्रिय कार्यक्रम ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ महीनों पहले वह गुजरात में स्थित दांडी गए थे। आजादी के आंदोलन में ‘नमक सत्याग्रह’, दांडी, एक बहुत ही बड़ा महत्वपूर्ण बदलाव का क्षण और स्थान है। दांडी में उन्होंने महात्मा गाँधी को समर्पित अति-आधुनिक एक संग्रहालय का उद्घाटन किया था। उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया कि वह आने वाले समय में महात्मा गांधी से जुड़ी कोई–न–कोई एक जगह की यात्रा जरूर करें। यह कोई भी स्थान हो सकता है जैसे पोरबंदर, साबरमती आश्रम, चंपारण, वर्धा का आश्रम या दिल्ली में महात्मा गांधी से जुड़े हुए स्थान हो। उन्होंने कहा कि लोग ऐसी जगहों पर जाए तो अपनी तस्वीरों को सोशल मीडिया पर साझा जरुर करें। ताकि, अन्य लोग भी उससे प्रेरित हों और उसके साथ अपनी भावनाओं को व्यक्त करने वाले दो-चार वाक्य भी लिखिए। उन्होंने कहा कि इन स्थानों पर जाने के बाद आपके मन के भीतर से उठे हुए भाव, किसी भी बड़ी साहित्य रचना से, ज्यादा ताक़तवर होंगे और हो सकता है आज के समय में, आपकी नज़र में, आपकी कलम से लिखे हुए गांधी का रूप, शायद ये मौजूदा समय में ज्यादा अनुकूल लगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी की जयंती दो अक्टूबर के अवसर पर आने वाले समय में बहुत सारे कार्यक्रमों, प्रतियोगिताओं, प्रदर्शनियों की योजना भी बनाई गई है। उन्होंने कहा कि आपको याद होगा कि गुजरात के हरीपुरा में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था जहां पर सुभाष चन्द्र बोस के अध्यक्ष चुने होने की घटना इतिहास में दर्ज है। कांग्रेस के हरिपुरा सत्र से पहले 1937-38 में महात्मा गांधी ने शांति निकेतन कला भवन के तत्कालीन प्रधानाचार्य नन्द लाल बोस को आमन्त्रित किया था। गांधी जी चाहते थे कि वे भारत में रहने वाले लोगों की जीवनशैली को कला के माध्यम से दिखाए और उनकी इस कला का प्रदर्शन अधिवेशन के दौरान हो। ये वही नन्द लाल बोस है जिनकी कलाकृति हमारे संविधान की शोभा बढ़ाती है। संविधान को एक नई पहचान देता है। उनकी इस कला साधना ने संविधान के साथ-साथ नन्द लाल बोस को भी अमर बना दिया है। उनके इस अनमोल कलाकारी की वेनिस में जबरदस्त चर्चा हुई।
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