लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी सहकारी बैंकों की 61वीं वार्षिक बैठक में बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समितियों की क्रेडिट लिमिट 10 लाख से बढ़ाकर 15 लाख करने की घोषणा की। इससे किसानों को अधिक वित्तीय सहायता मिल सकेगी। इसके साथ ही बलरामपुर जिले में सहकारी बैंकिंग को शुरू करने की उद्घोषणा की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को यहां इंदिरागांधी प्रतिष्ठान में आयोजित उप्र सहकारिता बैंक लिमिटेड की वार्षिक बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंक किसान, युवा उद्यमियों और एमएसएमई की आर्थिक तरक्की की रीढ़ हैं। मुख्यमंत्री योगी ने सहकारी बैंकों से आह्वान किया कि वे युवा उद्यमियों को अधिक से अधिक अपने साथ जोड़ें। उन्होंने बताया कि सीएम युवा उद्यमी योजना के तहत 32 हजार से अधिक युवाओं को जोड़ा गया है। सहकारी बैंकों को भी इस योजना से लाभार्थियों को जोड़कर उनकी आर्थिक प्रगति में योगदान देना चाहिए।
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बढ़ रही है सहकारी बैंकों की साख मुख्यमंत्री योगी ने सहकारी बैंकों की प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि 2017 में उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंकों का सीडी रेशियो 44 प्रतिशत था, जो वर्तमान में बढ़कर 61 प्रतिशत हो गया है। साथ ही इन बैंकों का शुद्ध लाभ 100 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह सरकार की पारदर्शी नीतियों और बेहतर प्रबंधन का परिणाम है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों में सहकारिता व्यक्तिगत स्वार्थ का अड्डा बन गई थी। इससे किसान परेशान थे और 16 बैंकों के लाइसेंस जब्त कर लिए गए। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सहकारिता को नया जीवन दिया और इसके लिए अलग मंत्रालय की स्थापना की। आज 50 में से 49 सहकारी बैंक लाभ में हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि बी पैक्स और सहकारिता के माध्यम से फर्टिलाइजर की जरूरतें पूरी करेगी और ब्लैक मार्केटिंग पर सख्ती से रोक लगाएगी। इससे किसानों को उर्वरक उचित दामों पर मिलेगा और आपूर्ति सुचारू होगी।
सहकारिता क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने वालों को सम्मानकार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने युवा उद्यमी विकास योजना के लाभार्थियों को चेक वितरित किए और जिला सहकारी बैंकों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले संचालकों को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री योगी ने सहकारी बैंकों को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से बैंक फ्रॉड से बचाव पर आधारित पत्रिका का विमोचन भी किया। यूपी कोऑपरेटिव बैंक की 61वीं वार्षिक सामान्य निकाय बैठक में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, सहकारिता राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार जेपीएस राठौर समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी और सहकारी बैंकों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
अर्थव्यवस्था को नई गति देगा सहकारिता का मॉडलमुख्यमंत्री ने कहा कि कोऑपरेटिव बैंकों के विस्तार और सुदृढ़ीकरण से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी। छोटी इकाइयां किसी भी अर्थव्यवस्था की नींव होती हैं और सहकारिता इन्हें मजबूत करने का सबसे प्रभावी माध्यम है। मुख्यमंत्री ने सहकारी बैंकों से अपील की कि वे नई टेक्नोलॉजी को अपनाकर पारदर्शिता बढ़ाएं। उन्होंने कहा जितनी पारदर्शिता होगी, उतना ही बेहतर काम होगा। हमें सहकारिता के माध्यम से किसान, युवा, महिला और समाज के अंतिम व्यक्ति तक अपनी पहुंच बढ़ानी होगी।
सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर ने कहा कि सहकारित में नया प्राण फूंकने का काम किया है। पूर्व के समय में जहां पर सहकारिता विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बना करता था, आज सहकारी विभाग किसानों की समस्या का समाधान का केन्द्र बन रहा है। कोऑपरेटिव बैंक की पहचान वित्तीय प्रबंधन और अनुशासन के लिए जानी जा रही है। वर्ष 2016-17 में प्रदेश की सहकारी बैंक की 27 शाखाएं थीं। आधे से ज्यादा घाटे में चल रही थीं। आज 40 बैंक शाखाएं हैं और सभी लाभ में हैं।